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बासठ की हार ने हमें झकझोरा,
पैंसठ और एकहतर में सेना ने अपना शौर्य दिखलाया,
पर,पीओके को भारत का अंग बनाना अभी बांकी है,
सबेरा होना अभी बांकी है।
हरित क्रांति कर हमने खाद्यान्न बढ़ाया,
देश को आयातक से आत्मनिर्भर बनाया,
पर,भूख सूचकांक में सुधार करना अभी बांकी है,
सबेरा होना अभी बांकी है।
पांचवीं बड़ी आर्थिक शक्ति का हम दावा करते,
विकसित भारत का नित्य स्वप्न संजोते ,
पर,वंचित और पीड़ित चेहरों का खिलना अभी बांकी है,
सबेरा होना अभी बांकी है।
वसुधैव कुटूंबकम को हम भारत का ब्रांड बताते,
काली - दूर्गा के रूप में एक स्त्री के नाम की माला जपते,
पर,महिलाओं के प्रति नजरिया बदलना अभी बांकी है,
सबेरा होना अभी बांकी है।
शंकराचार्य और कलाम के गुणों का नित्य बखान करते,
फिर भी, हिन्दी - तमिल विवाद कर नित्य उन्हें शर्मशार करते,
उत्तर दक्षिण के इस विभेद को मिटाना अभी बांकी है,
सबेरा होना अभी बांकी है।
हिन्दू मुस्लिम रहते साथ - साथ पर ,
मजहब के नाम पर आपस में लड़ते,
आधी रात को हमें मिली आज़ादी,
पर,सबेरा होना अभी बांकी है।

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