अवधी-ब्रज बेमेल का हिन्दी में किया था मेल,
काशी के हरिश्चंद्र का भारत मे हिन्दी प्रयोग व खेल,
आशीष बाबा विश्वनाथ के पाकर चिंतन मे भगवन् का सेल ( कोशिका)
दोहा, चौपाई, छन्द हो ,नाटक, कथा ,गद्य- पद्य काल भैरव के कृपा से अंगुली पर सारे खेल,
पिता के सारे छन्द, चौपाई दोहे काट दें, बोलें यह पुरे बेमेल,
खुद फिर से वो ऐसा गढ़ते, जैसे शब्द छन्द तुकबंदी मेल,
अल्पायु मे सबको कर देते नत्मस्तक शब्दों के खेल,
पिता भी इनको मान गए , प्रतिभावान विलक्षण मेल,
लेखन हिन्दी भाव जगाया आज़ादी का अद्भुत खेल,
सबके समझ में आई हिन्दी भाषा, गढ़ते शब्दों के तालमेल,
जगी जवानी वीरों की ,संघर्ष पर उतरे जवाँ मिटा डर से जेल,
जिस ओर जवानी चले, उस ओर जमाना चले, भीड़ में रेलम् रेल !!
आज़ादी के आंदोलन मे न रुकी लेखनी धार,
भारतेंदु के कलम का मुकाबला क्या करती तलवार,
शब्द, छन्द के जादू का बिस्फोट हो ताकतवर,
आग सुलगती अंग्रेजों को, चाहे अधिकारी हो कद्दावर,
आधुनिक हिन्दी जनक भारतेंदु ने बताया आज़ादी निज भाषा का खेल,
देश प्रेम का भाव जगाया, गद्य पद्य, दोहे नाटक से रखते आगे सबको ठेल,
हिन्दी भाषा आज़ादी का मूलमंत्र बना, आपस के रिश्तों का मेल,
होते गए विफल फिरंगी, योजना अंग्रेजों की हो गई फेल,
हिन्दी देश व्यापी हुआ, फैला दूर देश तक संदेश,.
भारतेंदु ने काव्य, लेख, नाटक से बदला आंदोलन का परिवेश,
इस हिन्दी के दम पर हमने पाया आज़ाद चमन, स्वतंत्र देश,
आपकी हिन्दी बोल रहे हम, फैल रहा है देश- विदेश,
आज़ादी का शिखर पुरुष बन , चाँद हो गए भारत का ,
जन जन ने भारतेंदु बनाया ,नाम बढ़ाये भारत का,
संस्कृत, ब्रज- अवधी को जोड़ तोड़ " हिन्दी " को बनाये भारत का,
जन सुलभ हुआ यह भाषा सम आभाषी पुरे भारत का,
विश्वनाथ का अलख जगाये, सम्मान बढ़ाये काशी का,
हिन्दी, हिंदू, हिंदुस्तान से मान बढ़ाये काशी का,
भारतेंदु ने शब्द- भाव से उत्कर्ष बढ़ाया काशी का,
अजर- अमर हो कृति आपकी, अभिमान हो हिन्दी भाषी का !!

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