1858 मे किया था जिसने बगावत व विद्रोह,
ब्रिटिश सेना भाग खड़ी थी देखकर उनकी खौफ,
1858 मे आज़ादी का बिगुल फुक जन जन को किया बेखौफ,
गुलामी की जंजीर तोड़, हो गया क्रांति नायक,
अंग्रेजों को रौंद रौंद कर, बड़ा बना खलनायक,
शाहाबाद ( जगदीशपुर) की धरती पर जन्मा था आज़ादी का गठनायक,
लंबी काठी, चौङी छाती, फौलादी जिस्म, शौर्य, पराक्रमी, वीरता से बना देश का महानायक,
बिहार, बंगाल, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश तक संग्राम का किया सूत्रपात,
कई अंग्रेजों का हत्या किया, कितनों को किया आघात,
बाबु कुँवर सिंह ने छापामार युद्ध शैली से अंग्रेजों पर किया घात पर घात,
मुक्त हुआ शाहाबाद फिरंगी राज से " कुँवर सिंह "थे ऐसी बात ?
वर्षो दहशत मे रहकर अंग्रेजों मे जगी
नहीं प्रतिकार औकात,
वीर कुँवर सिंह की तलवार पकड़ और जज्बे मे थी बड़ी विसात,
कफन बांध चलते वीर कुँवर थे ताकत मे थे वो सुरवीर,
चकाचौंध से धुसरित ब्रिटिश माने उनको अद्भुत वीर,
घुटने पर ही चलें फिरंगी, जिन्दा जब तक रहे कुँवर गंगा तीर,
80 वर्षों की हड्डी मे, युवा जोश, आक्रोश था ऐसा, जिधर चली तलवार खींच जाती नई लकीर,
अंग्रेजों को औकात दिखाया, बदला भारत का तस्वीर,
गंगा नदी से आर- पार मे एक दिन फंसे
वृद्ध कुँवर धीर,
घात लगाए बैठे ब्रिटिश कई गोलियां दागी उन पर खफा फिरंगी सेना अधीर,
बीच नदी में एक हाथ में गोली लग गई
जज्बा देखा तब कुँवर का दुश्मन की गोली का हाथ स्वयं काटकर सौंप दिया
माँ गंगा के नीर,
एक हाथ से लड़ी लडाई, डर डर भागे ब्रिटिश सैनिक, बलिया, जौनपुर तक खदेड़ा इतना क्रोधित थे संग्रामी वीर,
पस्त फिरंगी भाग खड़े थे, देख कर वीर कुँवर सिंह के उन्मादी तेवर,
कुँवर सेना के जय घोष से तभी चढ़ा स्वाधीनता कलेवर,
विजय जश्न मे पहुँची सेना शाहाबाद, बिहार ( जगदीशपुर) किला, जन जन मे आया खुशी मतवाला,
कुँवर सिंह तो बाबु कुँवर सिंह थे जिसने हिम्मत से फिरंगी कुचल डाला,
कुँवर सिंह नायक ऐसे थे देश जगाने वाला,
नमन है ऐसे महापुरुष को ,था जो भारत का वीर निराला !!
बुड्ढों मे यौवन भर डाला, जोश जवानी वाला,
बाघ, शेर सी ताकत जिसमे , था सच्चा मातृ भूमि का रखवाला !!
वीर कुँवर सिंह अमर रहें ! शत् शत् नमन् !