नहीं पढ़ी थी गाथा हमने, अमर शहीद भगत सिंह की,
नहीं पढ़ी थी गाथा हमने, अमर शहीद राजगुरु की,
नहीं पढ़ी थी गाथा हमने, अमर शहीद सुखदेव की,
बस मालूम था फांसी हुई 23 मार्च 1931 को वीर पुत्र शहीदों की,

घोर यातना, जोर तबाही, चला दौर था ब्रिटिश का,
भयाक्रांत था देश हमारा, अत्याचारी शासन का,
विचलित, चिंतित, व्यथित युवा दिल स्वाधीन अरमानो का,
सत्य, अहिंसा देख चुके थे, चुना मार्ग हिंसा और बलिदानों का,
भगत सिंह तो देश भक्त थे, गोल बंद थी टोली उनकी,
इंकलाब थी बोली जिनकी, मर मिटी युवा जवानी उनकी,

गोली मारी, बम बरसाया, किया धमाका जोरों का,
चुन चुन कर एक एक को मारा, दिल दहलाया गोरों का,
प्रबल थी इच्छा, तीव्र प्रतीक्षा, सिंह गर्जना मर्दों की,
बदला लेते, हत्या करते, क्रूर फिरंगी कायर की,

कफन बाँध चलते फौलादी, लिए नशा आज़ादी का,
फंदा फांसी गले लगाया, बिगुल बजा आज़ादी का,
नाक रगड़कर, भीख मांग कर, थप्पड़- झप्पड़ शीश नवाकर थोड़ी मिली थी आज़ादी,
क्रांति का उन्माद जगाकर, शीश काटकर, अंग्रेजों पर बम बरसा कर, तभी मिली ये आज़ादी,

भगत- राजगुरु- सुखदेव के आक्रामक ने ही लाई कुर्बानी की वो आँधी,
भाग खड़े थे अच्छे -अच्छे, जज्बा इनका देख -देख कर छिपे रहे नेहरू- गांधी,

ब्रिटिश को दहशत मे ला कर, नींद उड़ा दी, चैन मिटा दी,
फिरंगी सेना तंग तंग थी, भगत का देश हुआ आदि,

तीनों शहीद हुए गिरफ्तार, भेजा जब इन सबको जेल,
बड़े बड़े नेता थे तब भी, नहीं लिया था डर से बेल,
फांसी का आदेश हुआ जब, गांधी- नेहरू खेलते रहे राजनीति का खेल,
क्या मंशा, क्यों कुंठा थी, क्यों नेहरू गांधी मे था विद्वेष,
क्यों नहीं लड़ा नेहरू गांधी ने ऐसे वक्त मे उनका केस,
तभी देश के जन जन को हृदय घात का लगा था ठेस,
मिथ्या था, बुजदिल था, गांधी- नेहरू का शांति का भ्रामक उपदेश,
लोक हृदय में तभी बसा था, भगत क्रांति - प्रेम स्वदेश,

इंकलाब उदघोष हुआ तब, भगत भगत का नारा गुँजा,
राजगुरु का नारा गुँजा, सुखदेव का नारा गुँजा,
इंकलाबी दिखा था देश- सुलग उठा था तब परिवेश,
ओछे, गंदे, गुगड़ थप्पड़ खाने वालों ने लुप्त कर दिया भगत क्रांति का संदेश,
मातृ भूमि की रक्षा हेतु , चूमा फांसी फंदे का जालिम आदेश,
भगत, राजगुरु, सुखदेव ने फांसी चढ़कर दिखाया था क्रांति अभी बचा है शेष,
नमन है ऐसे दिव्य पिता माता को, क्रांति के जिनमे थे खून,
जिनके पथ चलकर तीनों बच्चों मे मातृभूमि की रक्षा का वैसा जगाया फौलाद जुनून,
अंग्रेजों को पीटा- कुचला , अन्त बहाया अपना खून !
नतमस्तक है पूरा भारत, नमन करे वो आज़ादी,
मर मिटे देश में भगत, राजगुरु, सुखदेव बनकर अब्बल बागी,
जिनके कारण हमे मिली है भारत की आज़ादी,

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