भारत के महापुरुष, जिनका व्यक्तित्व महान,
सादा जीवन शैली, अति साधारण इंसान,
ग्रामीण जीवन परिवेश, सादा ही खान-पान ,
बहुमुखी प्रतिभा शाली, जीरादेई था जन्म स्थान!
दादा- दादी, चाचा- चाची, माता- पिता के दुलारे वे संतान,
सरस्वती उनके हृदय बसी थी, पाए उच्च वो ज्ञान,
प्रेसीडेन्सी कॉलेज प्रवेश परीक्षा में पाए प्रथम स्थान,
पढाई भागलपुर से विधि परा स्नातक कर पाए स्वर्णपदक सम्मान,
कानून ( लॉ) की पढाई से पाया डॉक्टर उपाधि से मान,
13 वर्ष की आयु मे बाल विवाह परिपाटी बंधन में बंधे नादान,
पढ़ाई में अटुट आस्था से जुटकर, मस्ती का भी रखते संज्ञान,
भारतीय संस्कृति युक्त पहने सारे परिधान,
फारसी, उर्दू, हिन्दी, संस्कृत, भोजपुरी, बांग्ला, अँग्रेजी में किये बखान,
लेखनी- वक्तव्यों से फूंकने लगे, आज़ादी के संघर्षों में प्राण,
आंदोलनों से हुआ अग्रणी नेतृत्व कर्ता का पहचान,
उनकी विद्वता और ईमानदारी से चापलूस रहे परेशान,
कानून और वकालत ने उनका मार्ग किया आसान,
धूमकेतु जैसे छा गए स्वदेश में उनके नामो- निशाँ,
आँखें अँग्रेज टट्टुओं के होने लगे तरकशां,
फिरंगी भेड़ियों का कानून से ही लेते रहें इंतहाँ,
आज़ादी के नशे मे " खैनी " से मुहब्बत रखते बेइंतहाँ,
न सोहरत, न दौलत, न नुमाइश कोई, दीवाना आज़ादी के रहे तन्हा,
जुल्मे सितम के प्रतिकार मे सुलगाते रहे शमाँ,
जन जागृति के खातिर, आज़ादी के रंग चढें परवाँ,
यूँ ही नहीं मिला आज़ादी, बनाने पड़े हर तरफ कारवां,
नेतृत्व आपके कूद पड़े, नर- नारी, बच्चे, बूढ़े- युवा,
शहीदों ने अपने बलिदान से खेला आज़ादी का जूआ,
तब जाकर यह देश मेरा कई मशक्कत से आज़ाद हुआ,
15 अगस्त 1947 को तिरंगे के परचम ने लाल किला छुआ,
तभी शांत हुआ वषों का धधकता हुआ धुवाँ,
नए कानून, नए विधान, नये संविधान की लोगों ने किया दुआ,
तब संविधान निर्माण मे अध्यक्षता राजेंद्र बाबू ने निभाया पूरा,
विद्वान कानूनविद,संविधान निर्माता डॉ. अंबेडकर ने सपना साकार किया अधूरा,
तब सबसे बड़े लोकतंत्र का संविधान हुआ पूरा,
भारत गणराज्य के प्रथम" राष्ट्रपति "का डॉ. राजेंद्र प्रसाद को अवसर मिला सुनहरा,
सोमनाथ मन्दिर जीर्णोधार के शिलान्यास का माथे पर उनके सेहरा,
अद्भुत, अप्रतिम, अद्वितीय प्रतिभा, लोकप्रिय प्रशासनिक क्षमता का बोध कराये गहरा,
संसद, प्रधानमंत्री, मंत्रियों को उनके हद मे रहने को करते दूरदृष्टि से पहरा,
सादा जीवन ,उच्च विचार ,बुद्धि, विवेक, विलक्षण, प्रतिभावान, व्यक्तित्व बहुत था गहरा,
शांत चित, निर्भीकता से काटते- छांटते रहे वो हर संकट का कुहरा,
जिनके प्रयासों के कारण भारत गणराज्य का स्वपन दिखा सुनहरा! 

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