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मेरे देश की जज्बात है हिंदी,
कहने को आजाद है हिंदी,
भारत में अब भी फसाद है हिंदी,
दक्षिण मे उल्टी सी बात है हिंदी,
उर्दू के कारण आघात है हिंदी,
अँग्रेजी से होती ब्रजघात है हिंदी,
दफ्तरों- बैंकों मे झूठी बात है हिंदी,
अँग्रेजी की दीमक ही खाई है हिंदी,
घर घर के नाम पट पर अपनी ही
आँसू बहाई है हिंदी,
विज्ञान-अभियंत्रण पुस्तकों ने पंजों दबाई है हिंदी,
सरकारी फंडों से मस्ती उड़ाई है हिन्दी,
राष्ट्रभाषा, राजभाषा विभाग की मोटी
कमाई है हिंदी,
हिन्दी पखवारा दिखाई है हिन्दी,
रिश्तों मे थोड़ी भरपाई है हिंदी,
भारत में अब भी पराई है हिंदी...
अँग्रेजी के घर की जमाई है हिन्दी,
हमने ही मिलकर दबाई है हिंदी,
कचहरी-थानो मे उर्दू चीरहरण से
अब तक मुरझाई है हिंदी,
अन्याय की तड़पन, न्याय की जरूरत
दिखाई है हिंदी,
बस कविता और गानो मे छाई है हिंदी,
देव नगरी से चलकर ये आई है हिंदी,
फिर भी न अब तक ये भायी है हिंदी,
आज़ादी की भाषा कहलाई है हिंदी,
उपेक्षा की दृष्टि ही पाई है हिंदी,
साहित्य की अगली लडाई है हिंदी,
राष्ट्रभाषा पर लेती अंगड़ाई है हिंदी,
स्कूल में कड़ाई से पढ़ाई हो ये हिंदी,
दफन हो अँग्रेजी, ताबूत बने जिन्दी ,
वतन मे लुटाओ बस हिंदी ही हिंदी,
दिखे हर तरफ सबके लेखन मे हिंदी,
हिंदुस्तां ये हिंदी, राष्ट्र भाषा मेरी हिंदी,
अपने घरों में कैद है सिमटती मेरी हिंदी,
आज़ाद हो ये हिंदी, जिंदाबाद हो ये हिन्दी,
मिसाल हो ये हिंदी, बेमिसाल हो ये हिंदी,
दुनिया में परचम लहराए मेरी हिंदी!