सुर ताल गीत संगीत,
झनकृत् हो अविरल प्रीत,
कोयल की मधुर कुहू सी गीत,
वन-जंगल मे मयूर के झूमे खूब शरीर,
संगीत से इतना भाव अधीर,
सुर साधक, लय धुन मीत,
महक, बहक, ललक संगीत,
मस्त रखते हैं गीत संगीत,
बसे हैं उसमें जश्ने रीत !!
गाते सब अपनी अपनी गीत,
जगे मस्तिष्क मे शीतल प्रीत,
कराये महसूस एकांकी मीत,
बजे जब मेज थाप संगीत,
मृदंक, तबला से धम्म संगीत,
शहनाई की धुन मे अद्भुत प्रीत,
सुनाओ दुनिया को अपनी गीत,
सुना दो भारत की यह रीत,
बसे हृदय में गीत- संगीत,
है जीवन एक संगीत,
जगाए सब के मन में प्रीत,  

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