धरती छोटानागपुर,उलिहतू वो गाँव,
जन्म लिए बिरसा तो दिखा दिव्य प्रभाव,
जैसे जैसे बड़े हुए, देखा जीवन में अति अभाव,
पहाड़ को चीरा, जंगल काटे, मिटाये खेती का दुष्प्रभाव,
आदिवासी जन जातियों मे जगाया क्रांति का अद्भुत भाव,
खेती पर केंद्रित किया सबके अंदर मनोभाव,
सफल हुआ प्रयोग यह, मिटाया अन्न संकट हर गांव,
आत्मनिर्भर बनने की खुशी ने जगाया प्रसन्नता भाव!
जमींदारों के शोषण पर हुआ बिरसा का टकराव,
जमींदारी ने खेती लूटी, जंगल लुटा, दिया ये गहरा घाव,
अंग्रेजों के साथ मे मिलकर वसूले लगान मूल सम भाव,
बिरसा ने प्रतिकार बढ़ाकर रौंदा कातिल प्रभाव,
"तीर- धनुष" ले डटे बिरसा, अंग्रेजों का किया प्रतिकार,
आदिवासी जाग गए, पाये फिर अपना अधिकार,
गाँव गाँव को जगा जगा उभारा " क्रांति ज्वार ",
मुंडा समुदाय के विद्रोहों से ब्रिटिश मे चिंता बढ़ी अपार,
बिरसा मुंडा के अगुआई मे युद्ध हुआ घनघोर,
डोम्बार पहाड़ी गवाह बना, भागे अंग्रेज सब चोर,
मुंडा सेना के दहाड़ से " बिरसा " हो गए सिरमौर,
स्वयंभू घोषित कर दिया " भगवान बिरसा " जंगल जन का ठौर,
ज्ञान- उपदेशों से फूँका, जन संघर्षों में जान,
धर्म- समाज को किया, कुरीतियो से सावधान,
अपने ताकत के बूते पर तोड़ा हर व्यवधान,
गोरों- गद्दारों को खदेड़ दिखाया आदिवासी शान!
बिरसा मुंडा के क्रांति का जलने लगा मशाल,
अंग्रेजों- जमींदारों की ढीली हो गई चाल,
हजारो छिपकर आये फिरंगी रात में ले बम- बारूद भूचाल,
तीर- धनुष की ताकत से बिरसा मुंडा ने तोड़ा ,फिर से जाल!
पहली बार में पस्त हो गए अंग्रेजों के हथियार,
मुंडा सेना हर जगह पर खड़ी युद्ध ललकार,
भारी सेना बंदूक- बारूद ले पहुँची अँग्रेजी सेना इस बार,
गोली मारी, बम बरसाया, मचाया हाहाकार,
गाँव गाँव में हमला कर बिरसा को किया गिरफ्तार,
आज़ादी का बिगुल बजा, मुंडा सेना का ललकार,
तीर- धनुष से टूट पड़े आदिवासी रणबाकुरे तैयार,
बम बारूद से भारी पड़े, अंग्रेजों के हथियार,
महा समर में कितने मिट गए, अजब थी चीख पुकार,
मुंडा सेना खून से लथपथ करती रही प्रहार,
बिरसा के बंदी बनते ही टूटा क्रांति धार,
जेल यातना झेल रहे बिरसा हो गये बीमार,
राँची का होटवार कारागार जहाँ से बिरसा ने दिया " उलगुलान"(महा हलचल) क्रांति का आधार,
जन जन ने स्वीकार किया बिरसा क्रांति का विचार,
किया दिव्य प्रहार, सशस्त्र संघर्ष भीषण था धारदार,
भाग रही थी ब्रिटिश सेना ऐसा था आदिवासी गर्ज- दहाड़,
मेरी खेती, मेरी माटी, मेरे जंगल, मेरे पहाड़,
गूंज उठी चहुंओर क्रांति जलने लगे मशाल,
जोत, जंगल, जमीन के तानाशाहों पर युद्ध हुआ विकराल,
बिरसा मुंडा की आवाज़ से क्रांति हुई
बहुत विशाल,
बिरसा के जिस्मानी ताकत थे, चट्टानों से मजबूत,
आज़ादी के अमर समर में मुंडा सेना शहीद अवधूत,
अंग्रेजों को खदेड़ते रहे, भगाते उनकी भूत,
भगवान हैं अद्भुत बिरसा मुंडा ,आज़ादी के सच्चे सपूत!
हर जोर- जुल्म और शोषण पर
बिरसा थे क्रांति दूत,
जन जन मे सेवा भाव का भाव बड़ा अदभुत,
ऐसे नहीं भगवान बने वो उनसे देश
अभीभुत्
युग युग तक हम याद करेंगे बिरसा मुंडा की करतूत!!