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नर नारी अब एक समान,
दोनो के ही एक परिधान,
दिखता न सिंदूर टिका ध्यान,
दिन और रात भी एक समान,
बदला जीवन विधि -विधान ,
माता पिता को है संज्ञान,
विश्व मे चलन चढ़ा परवान,
नया ज्ञान है, नये विज्ञान,
नर- नारी अब एक समान,
पाश्चात्य अब हुआ महान,
नहीं कहीं अब मान- सम्मान,
तुम्हारी बीबी उसके प्राण,
देख के निकले दूजे जान,
मर्यादा का बिगड़ा मान,
है संस्कार अब अंतर्ध्यान,
नर नारी अब एक समान,
संस्कारी होते गुणवान ,
दंभ मे बुझते खुद बलवान,
रहा न सत्य, सनातन शान,
कुत्ते, बिल्ली पुत्र समान,
माता पिता को है अभिमान,
अमरीका,लंदन करें गुणगान,
पुत्र हो गया कृपा निधान,
छोड़ा भारत, भुला प्रणाम,
माता पिता का काम तामाम,
बुढ़े माता, पिता करे आराम,
न मचायें हल्ला- कोहराम,
जीते- मरते, जय सिया राम,
बच्चों को अब कौन सा काम,
माँ की कुटिया करे नीलाम,
बीबी को ही करे सलाम,
पश्चात्य यही दुष् परिणाम,
लक्ष्मी- सरस्वती वो रूप महान,
नर- नारी अब एक समान,
माँस- मदिरा दोनो के शान,
मिट गए सारे अमर निशान,
विलुप्त संस्कार के नामोनिशान,
चलो बचाएं अपना अभिमान,
जप लो यारों, जय जय राम !
होगा जग का तब कल्याण !

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