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पिता दुलारें पुत्र को,
वो वक्त बड़ा बलवान,
धरती से आकाश का तारा
पिता का ये पहचान,
उनकी छाया साथ रहे तो,
जीवन मे हो गुणगान,
पिता गलती पर मुस्काते
यह शैली अजब महान,
गुस्सा मे धीरे से कहते,
बेटा तू है बड़ा शैतान,
मैं भी हँस कर चुप हो जाता,
करके पिता को फिर प्रणाम,
मार पीट कर घर आता तो,
पिता बचाते जान,
अच्छे काम कर घर आता तो
पिता मे दिखता गर्व भरा अभिमान,
एक बार सिर फेर दें हाथ तो
लगता आज मिला बहुत बड़ा प्रसाद,
बड़े खिलौने देख देखकर,
मेरे मन में जगते भाव,
जिद्द में उनको खरीद कराता,
पिता मे देखा था हमने इतना करुण प्रभाव,
पिता की साया मिट जाने पर,
हो जाते सारे सपने तार- तार,
जीवन होते मझधार,
इस कारण ही माना जाता
पिता गुरु हैं, पिता ग्रंथ हैं,
पिता ही ईश्वर के अवतार !
पिता मेरे स्मृति शेष हैं,
श्री राम देव थे नाम ,
ईश्वर बन कर साथ रहें वो
जिनके कृपा दृष्टि ने बनाया,
हम तुच्छ को एक छोटा इंसान !
आज समर्पित करता हूँ अपना शत् शत् ये प्रणाम !!
पिता ही मेरे प्रेरणा, पिता ही भगवन राम !!