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एक कानून, एक देश,
ऐसा बनेगा भारत देश,
बंटवारे में चाहिए थी,
उनको अपना अलग से देश,
इच्छा पूरी कर दिये जगत गुरु महेश!
सत्य सनातन देश मे दर्जा उन्हें विशेष,
हजारो वर्ष से पढ़ रहे मानवता का संदेश,
भगवान बुद्ध ने भी अहिंसा, मानवता का दिया उपदेश,
अल्पसंख्यक आड़ मे पकड़े रावण भेष,
दंगा- फसाद, बालात्कार, उग्रवाद मे झोंके पूरा देश,
रोके उनकी मंशा कौन,जब सरकार
ने माना अति विशेष,
इस विशेष के कारण ही फैला है आपस में विद्वेष,
खैरात, हज ,मदरसा को बांट रहे सरकारी अनुदेश,
अर्थ का अनर्थ न लें भारत सबका देश,
संविधान भी कहता है सबको प्रिय यह देश,
अपनी माटी, अपना देश, जगाओ प्रेम स्वदेश,
सभी बराबर हैं आपस में यही गीता का उपदेश,
राष्ट्रग्रंथ "गीता " मे निहित है श्री कृष्ण संदेश,
राम राज्य को बढ़ चला अपना भारत देश,
लोकतंत्र मन्दिर(० संसद) से जारी हो अब "समान नागरिक संहिता" शेष,
प्राचीन काल के आर्यावर्त का जीवित हो अवशेष,
सभी बराबर मे अच्छे हैं, ध्वस्त हो दर्जा विशेष,
हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई से मिलकर है सुंदर भारत देश!
न हो किसी मे तैश यहाँ न हो कोई विशेष,
भारत की मिट्टी में घुला है सदियों से प्रेम स्वदेश,
साथ मे मिलकर सभी चलें अब मन से मिटायें द्वेष,
जाति- धर्म का भेद मिटायें, चले शरण राम के देश,
गौरवशाली मेरे इतिहास से स्वर्णिम हो भारत देश!!
टुकड़े टुकड़े बाँट कर व्यथित है मेरा देश,
संसद लेकर आ रहा "समान नागरिक कानून" है यह शुभ संदेश! 

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