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मिटा ताप का तेजस काया,
झूम झूम के सावन आया,
काले बादल, बरखा भाया
माया मोह भी अब शरमाया,
मस्त मगन सावन है आया,
धरती माँ का भींगा आंचल,
बरसे बरखा, फटते बादल,
बच्चे, बुड्ढे युवा हैं पागल,
सावन मे हर शख्स हैं घायल,
हम सब भी मौसम के कायल,
गरम जलेबी, गरम सिंघाड़ा,
कहीं छन रहा सांभर बाड़ा,
वर्षा का आनंद अजब गजब है,
घर में बंद हो सब स्वछंद हैं,
कहीं तेज है कहीं मन्द है,
मन मे सबके अलग द्वंद्द् है,
बच्चों को भ्रमण ध्वनि पसंद है
टेलीविजन मे महिलाएं कैद हैं,
बुड्ढे समाचार को मुस्तैद हैं,
युवा जवानी झर झर पानी,
सुने जोर शोर से गीत रवानी,
झूम रही थी बरखा रानी,
जोर चली आँधी तूफानी,
घर घर में था पानी पानी,
अंगड़ाई मे सभी जवानी,
त्राहिमाम का कहर था पानी,
प्रसन्न मेघ, बाबा बरफ़ानी,
निर्झर निर्झर बहता पानी ,
प्रकृति छटा, सौंदर्य दीवानी,
हर सावन की यही कहानी,
सावन माह बड़ी मस्तानी !
मस्त मगन हैं बरखा रानी !
भरे कूप, तालाब में पानी,
मर्यादा तोड़े नाला नाली,
आसमान की छटा निराली,
भक्ति भाव सबकी मतवाली,
चढ़े वस्त्र केसरिया वाली ,
शंकर शिव के धाम पर ताली,
झुंड केसरिया बोल बम वाली,
नदियों से लोटा जल वाली,
थके न कंधे काँवर वाली,
जय कारा बोल बम बम वाली,
शिव की महिमा औघड़ वाली,
देते सब को भर भर थाली,
सजता सावन, भक्त की थाली !
माह सावन की अजब निराली,

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