गुरु चरणों की खोज मे पहुँचा शांति धाम ,
जैसी थी परिकल्पना, वैसे ही मिले परिणाम,
भ्रमण किया इस लोक में लेकर शांति बाबा का नाम,
श्रद्धेय रामकृष्ण परमहंस के ज्ञान से गंगा माँ के गर्भ में बसा है शांति धाम,
शांति बाबा के तप - तपस्या से बसा यह पावन धाम,
गुरु समाधि है यहीं, यही है गुरु का धाम,
गुरु चरणों के स्पर्श से बनेंगे बिगड़े काम,.
गुरु मे जिनकी आस्था, गुरु ही चारो धाम, ( कहलगाँव - गंगा नदी )
इसके ही बस पास है प्राचीन विक्रम शीला ज्ञान स्तूप महान,
विक्रमशीला विश्विद्यालय नाम अमर है 703 ईस्वी सन् से है, दुनिया में इसका नाम,
( अवंतिक चक,विक्रम शीला विश्व विद्यालय - भागलपुर )
1 कुलपति, 160 आचार्यों, 8000 शिष्यों के साथ फैलाया विश्व में ज्ञान,
आर्यावर्त ( भारत) गर्वित हुआ, बना विश्व ज्ञान का खान,
शिष्यों ने भी खूब पढ़ा, ध्यान, दर्शन, अध्यात्म, विज्ञान,
ऐतिहासिक ज्ञान के केन्द्र मे शिष्यों को सानिध्य मिला भगवान बुद्ध का उपदेश मिला और शांति पर व्याख्यान,
तीरंदाजी ऐसी यहाँ, जहाँ अवतरित " तिलका माँझी " हुए लेकर स्वतंत्र संग्राम,
अंग्रेजों से खूब लड़े, बचाये जल, जमीन व भारत का अभिमान,
आओ नमन कर लें इस मिट्टी को ,
जो माँ गंगा ने दिया वरदान,
माँ गंगा को मेरा प्रणाम,
काल चक्र, बुद्ध अमृत ज्ञान की
इस धरती को मेरा शत् शत् नमन, प्रणाम !!
(परम पूज्य श्रद्धेय गुरु जी एवंं भारत का प्राचीन विक्रम शीला विश्व विद्यालय को समर्पित)