स्वाधीनता के बाद भी पराई है हिन्दी,
वैसे तो देश की जज्बात है हिन्दी,
कहने को बस आज़ाद है हिन्दी,
भारत मे अब भी फसाद है हिन्दी,
उत्तर और दक्षिण में उल्टी सी बात है हिन्दी,
उर्दू के कारण आघात है हिन्दी,
अंग्रेजी से होती ब्रजघात है हिन्दी,
बैंकों , सरकारी प्रतिष्ठानों की झूठी बात है हिन्दी,
अंग्रेजी की दीमक ही खाई है हिन्दी,
सारे घरों के नाम पट्ट पर आँसू ही गिरती दिखाई है हिन्दी,
विज्ञान और इंजीनियरिंग की पुस्तक के पन्नों मे अंग्रेजी ने खुद ही दबाई है हिन्दी,
बस हम हो गए हिन्दी और तुम हो गए हिन्दी,
इन रिश्तों ने अब तक बनाई है हिन्दी,
सरकार ने राष्ट्र भाषा की विभाग बनाई है हिन्दी,
लेकिन उन फंडों और पैसों से मस्ती उड़ाई है हिन्दी,
फालतू सरकारी कर्मचारी की बेवजह भरपाई है हिन्दी,
न जबाबदेही न जिम्मेवारी की दशा मे " हिन्दी विभागों " मे दिखती पराई है हिन्दी ,
जिन्होंने है लुटा हिन्दी नाम पर पैसे व नौकरी अब उनकी भी आफत लायी है हिन्दी,
वर्षों के गबन और लूटेरों के व्यथा को स्वयं से ही बातें उठाई है हिन्दी,
खुद मायके में ही लड़ती- लड़खडाई है हिन्दी,
हिंदी सप्ताह और पखवाड़े मे बस छाई है हिन्दी,
खतम होते इसके बंद फाइलों मे दुबकी- कराहती व्यथा है ये हिन्दी,
हिन्दी राजभाषा, राष्ट्र भाषा विभाग, मंत्रालय की मोटी कमाई है हिन्दी,
वर्षों से बंद, पखवाड़े मे स्वछंदता और झुठी उमंगे बताती है हिन्दी,
लेकिन अब भी अग्रेजी के घर की जमाई है हिन्दी,
सरकारों के हाँथों दबी - दबाई है हिन्दी,
कोर्ट- कचहरी मे अँग्रेजी और उर्दू के चिरहरण से अब तक मुरझाई है हिन्दी,
ये ईडी, सीबीआई , आय कर के द्वारा सरकारी संस्थानों पर छापा की न्याय की जरूरत दिखाती है हिन्दी,
बस कविता और गाने मे छाई है हिन्दी,
देव नगरी से चल कर आई है हिन्दी,
फिर क्यों अभी तक न भायी है हिन्दी,
आज़ादी, संघर्ष, आंदोलन की भाषा में हम सब ने खूब अपनाई थी हिन्दी,
स्वाधीनता की भाषा और तेवर दिखाई थी हिन्दी,
फिर भारत मे क्यों है लडाई ही हिन्दी,
उपेक्षा की दृष्टि ही पाई है हिन्दी,
साहित्य की अगली लडाई है हिन्दी,
सरकारों की पहली पढ़ाई हो हिन्दी,
स्कूलों मे अब तो कड़ाई हो हिन्दी,
दफन हो अंग्रेजी यहीं सबसे पहले वतन को लुटाओ बस हिन्दी ही हिन्दी,
दिखे हर तरफ अब हो लेखन मे हिन्दी ,
हिन्दी हैं हम, हिंदुस्तां भी हम, राष्ट्र भाषा मेरी हिन्दी
यह देव की है भाषा, जन जन की ये अभिलाषा, अभिमान मेरी हिन्दी,
यह दिवस है अधूरी , हिन्दी बिना न पूरी, धुरी मेरी है हिन्दी,
सम्मान इसे कोरी, हो गई है इसकी चोरी, यह कमजोरी मेरी हिन्दी,
सुभाष चंद्र बोस ,महात्मा गॉंधी की भाषा थी हिन्दी, आज़ाद थी तब हिन्दी,
अपने ही घर मे कैद हो सिमटी रही है हिन्दी,
आज़ाद हो अब हिन्दी, जिंदाबाद हो ये हिन्दी,
मिसाल हो ये हिन्दी, बेमिसाल मेरी हिन्दी,
हिन्दी दिवस से उपर लहराये मेरी हिन्दी !! 

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