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बड़ तेज चाल के हउवे ई रेलगाड़ी,
पटरी पर दौड़त बा सबसे अगाड़ी,
इस्टेशन पर दौड़ताडे जनता अनाड़ी,
पानी के कलवन मे पड़ल बा सुखाड़ि!
डिब्बा के भीड़ में बा कोचा-कोचाड़ी,
जूता पंखा पअ आमदी अस कुली कबाड़ी,
जोहत जोहत जगहा पइनी शौचालय के ओसारी,
लात- जूता,पानी के छिटका खात पहुँचनी भिन्सारी!
का कहीं बचवा इस्टेशन रहल नगर उन्टारी,
उतरते टेशनवा पर टीटी मिललें करिया कोटधारी,
नाम पढूंवीं कोट पर देखनी जनार्दन तिवारी,
गते गते लगे जा के कहनी बाबा हम हूँ पड़ित जनेवधारी!!
टीटी कहलें बचवा हमरो ई डीयूटी हअ सरकारी,
रात भर असुलनी ह धाक्का मे कअ के
मारा मारी,
सुबहे मिल गइले तें चालीस रोपया दे खरीदब तरकारी,
बिना टिकट चढ़ल बाड़े मत कर मक्कारी!
हम हुँ घबरा गइनी देख ई टीटी के चोर बाजारी,
गलती तअ रहल हमार, तबो बडूवे खुद्दारी,
बोलनी टिकट बना द टीटी साहेब देखैनी होशियारी,
भड़क गइल टीटीया कहलस ,तोर होई गिरफ्तारी!
हमहु आगा पीछा देखे लगनी, कईनि भागे के तैयारी,
पड़ गइल टीटीया फेरा मे करे लागल पुलिसिया तैयारी,
गड़बडात काम देखविं चालीस रोपया देके खिवैनी पान आ सुपाड़ी,
तब वियाह मे चहुँपनी पकड़ के घोड़ा गाड़ी!! 

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