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मुहब्बत नशा है संभलना जरा,
ये लत बेवफा है ताउम्र गहरा,
न हम ही ठहरते, न उम्र ही ठहरा,
नशा हो जिसे भी, हो जाए बहरा,
जगी जब जवानी या हो कड़ा पहरा,
रोके न रुके ये, दिले ख्वाब बड़ा गहरा
मेरा प्यार उसके भी दिल मे हो ठहरा
मुहब्बत है अंधी पर दिखता सुनहरा,
है इश्क़ का जादू , चढ़ाता है कुहरा,
सिसकते सिसकते दिखाता अँधेरा,
तरसते हैं यौवन, न दिखता सवेरा,
तुम बेदर्द हो, लूटते खुशियाँ का डेरा,
पागल बना, आंसुओं ने था घेरा,
न तेरा घरौंदा, न घर तेरा मेरा,
बस चाहत व आफत ने हमको है घेरा,
मन्दिर की पूजा, जज्बातों से तेरा,
न जहाँ अपने काबिल, या है कोई मंजिल
तेरा है मेरा दिल, मेरा है तेरा दिल,
अभी तो यहाँ मिल सहेजुँ जवां दिल,
नजर बंद हो के न तु बन यूँ कातिल,
तेरे पर फिदा है, ये तेरा ही कातिल,
बख्शे खुदा हो गया हूँ अब जाहिल,
अश्कों के दामन से भागा ये साहिल,
मुहब्बत की कश्ती सा टूटा मेरा दिल,
उठा अपनी पलकें, मिला अपनी आँखें
करें अब मुलाकात बस आँखें ही आँखें
मै चाहा था तुमको गिराकर निग़ाहें,
शर्मसार हो गई मेरी बेशर्म निगाहें,
न हम ही बचे न ये रंग रसिया,
तेरे अदाओं मे घायल ये बहियाँ
तेरी मुस्कुराहट है मेरी खुशियाँ,
तुम्ही मेरी यारी, तुम्ही मेरी रसिया.