उर्दू-हिंदी साहित्य धरोहर, हमे धनपत राय पर गर्व,
नवाब राय के सोज- ए- वतन,
मे लिखा था देश का दर्द,
मचा तहलका देश मे, अंग्रेजों को लगी जोर की सर्द,
जासूसों ने उन्हे चेताया, बताया यह राष्ट्र प्रेम खुदगर्ज,
अंग्रेजों ने नवाब राय को बताया दहशतगर्द,
पूरी किताबें जब्त करो, प्रतिबंध ही इसका मर्ज,
जब्त हुआ सोजे वतन, अंग्रेजों ने छापा
मार किया एक फिर अर्ज,
बीच सड़क सोजे वतन जलाया, बताया खुद को जनता का हमदर्द,
भावना, इच्छा, आज़ादी कुचला अंग्रेज
बड़ा बेदर्द,
नवाब राय तब मुंशी प्रेमचंद बन निभाए देश प्रेम का कर्ज,
आज़ादी के अंगारे -शोले बन, निभाए अपना फर्ज,
उनकी कलम स्वाधीनता उगले, क्या था उनको हर्ज,
देश की खातीर मर मिटने का अद्भुत था उनका तर्ज,
वाराणसी के लमही ग्राम मे जन्मा अंग्रेजों का सिरदर्द,
जात- पात का भेद मिटाया, आज़ाद दीवाना प्रेमचंद था मर्द,
जाहिल, बुजदिल क्या जानेंगे, जो तब थे नामर्द,
विश्व के ऐसे कलमकार को "भारत रत्न" का गर्ज,
आओ जोर से माँग करें, यही हमारा फर्ज !
जो सपने देखे मुंशी जी ने साकार करें हम दर्ज !

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