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चुनाव का है वक्त आया
उम्मीदवारों को है समक्ष लाया
लोकतंत्र के मंच पर
यह समय 5 वर्ष में एक बार आया
होली, दिवाली, ईद, दशहरा
जैसे तीज त्योहार पर
होता जश्न है हम सबके घर पर
किंतु लोकतंत्र का त्यौहार यह
है, पर्व एक चुनाव का
चुनाव जो है चेतना की निशानी
चुनाव जो देता हम सबको
अवसर एक समान
अपना भविष्य चुन लेने को

भारतीय लोकतंत्र की धर्मनिरपेक्षता
बनाती उसको भिन्न,
विलक्षण एवं प्रदीप्त
चुनाव मिटाता भेदभाव को
करता सम्भाव को स्थापित
अमीर-गरीब, ऊँच-नीच
के अंतर को कर इति
प्रत्येक मत के मोल को
बनाता समान
मत का उपयोग कर
देते बागडोर हम
अपने प्रतिनिधि को
सत्ता भले ही हो किसी के हाथ में
तंत्र 'प्रजातंत्र' ही है कहलाता

चुनाव ही पृथक करता
प्रजातंत्र को अराजकता से
चुनाव ही सही दायित्व है हम सबका
कुछ पैसे, मादक द्रव्य,
सकता नहीं डिगा हम सबको
अपने सही चुनाव को कर लेने से
नागरिक का है कर्तव्य यह
समझना मूल्य अपने मत का
उत्थान है हम सभी का इसमे
कर दिखलाना है हम सबको यह.

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