Image by Spencer Wing from Pixabay
आज हम बात करेंगे ऎक बडी ही रोचक वस्तु के बारे में, जो हमने कभी कबार टीवी मूवीज या कार्टून मे देखी होंगी, पर उसका नाम नहीं पता होगा । और शायद नाम पता होगा तो, उसके बारे मे ज्यादा कुछ मालुम नहीं होगा । यह एक ऎसी चीज है जीसका उपयोग पहले जंगलमे शिकार के तौर पे किया जाता था, पर बदलते समय के साथ अब ये साधन खेल के क्षेत्र मे शामील हो गया है । आज तक हमने भालाफेंक, चक्रफेंक जैसे आदि खेल के बारे मे सुना था, पर आज हम बात करेंगे बुमरेंग के बारे मे । बूमरेंग का उपयोग आदिमानवो के समय से चला आ रहा है । भारत और विश्व के कइ देशो मे ये बूमरेंग फेंकने की प्रतियोगिता होती है । इसकी खास बात ये है की ये फेंकने के बाद घूमकर हमारे पास आता है, ऎसा क्यो होता है ?? इसका कारण इस लेख मे जानेंगे । साथ ही जानेंगे उसका उदभव, प्रकार, वैज्ञानिक कारण और कुछ विशेष बातें ।
पहले बूमरेंग के बारे मे सामान्य जानकारी लेंगे । बूमरेंगे ऎक फेंकने की लकडी है, जो हवागति शास्त्र (Aerodynamics) के नियम अनुसार हवा मे किसी निश्चीत अंतर पर पहूंचने के बाद घूमकर फेंकनेवाले की ओर आती है । पहले इसका उपयोग इंसान जंगल मे रहने वाले प्राणी-पशुओ और पक्षी के शिकार के लिए करता था । उस वक्त लोगो मे ज्यादा कुछ सामान्य ज्ञान नहीं था इसी लिए इसका उपयोग सिर्फ शिकार के लिए हुआ करता था । बदलते समय के साथ बूमरेंग का उपयोग युद्ध मे भी हाथ मे रखने वाले शस्त्र के तौर पर किया जाता था । लोग ऎसा दावा करते है की बूमरेंग ऑस्ट्रेलियन आदिवासी प्रजा की खोज है । शुरूआती दोर के बूमरेंग विशाल हाथी के दंतशूल (दांत) मे से या फिऎ प्राणीओकी हड्डी से बनते थे । खेल प्रतियोगीता मे उपयोग होने वाले बूमरेंग प्लायवुड, प्लास्टिक जैसे की – पोलीप्रोपीलीन, फेनोलीक पेपर अथवा कार्बन फाइबर – रेइन्सफोर्ड मे से बनते है । बूमरेंग अपने भौगिलिक अथवा आदिवासी मूल और उदेशित कार्य के आधार पर विविध आकार, प्रकार और कद मे उपलब्ध होते है । बूमरेंग मुख्यरूप से दो प्रकार के होते है : वापस आने वाला (Returning) और वापस न आने वाला (Non Returning). इसके अलावा बूमरेंग दूसरे अलग प्रकार के भी मीलते है जैसे की – क्रोस-स्टिक, ध पिनव्हील, टेबल स्टिक, बूमाबर्ड आदि । बूमरेंग 10 सेमी से लेकर 180 सेमी की लंबाइ वाला आता है । सन - 1822 मे ऎक ऑस्ट्रेलियन वसाहती अंग्रेज लेखक “बूमरेंग” शब्द का मूल सीडनी शहर से थोडे दूर तुरवाल नदी के किनारे बसे हुऎ आदिवासीओकी “धारुक” भाषा से आया है, ऎसा बताते है । धारुक भाषा मे बूमरेंग का अर्थ प्राणी-पंछीओ का शिकार के लिए फेंकीजाने वाली लकडी होता है ।
बूमरेंगकी खोज कम से कम 25000 साल पुरानी है । सबसे पुराना बूमरेंग पोलेन्ड की कार्पेथियन पहाडोकी ओलाझोवा नमक गुफामे से मिला है, जो करीबन 23000 साल पहले का है । हिमयुग समय के गुफावासी इंसानोने विशाल मेमल हाथी के दंतशूल (बाहरी दांत) मे से बूमरेंग (शिकारी लकडी) बनाते थे । जब वैज्ञानिकोने उस पर रीसर्च किया तो इस बात से दंग रह गये की – इतने सालो के बाद भी जब ये बूमरेंग हवा मे फेंका गया तो, अभी भी वो हवागतिशास्त्र (ऎरोडाय्नेमिक्स) नियम के मुताबिक घूमकर वापिस आया । ये इस जगत का पहला ऎसा “हवा से भारी” साधन बना जो, उडा । ऑस्ट्रेलियामे पुरातत्वविद्दो के पास से मिला हुआ प्राचीनत्तम बूमरेंग 10000 साल पुराना है । नेधरलेन्ड के व्लार्दिंजन और वेल्सन नामक जगह से पहली सदी के बूमरेंग मीले थे ।
हमारे यहां आन्दामान के मूल् आदिवासी, फ्रांस के गुफावासी इंसानो, अमेरिका के नवाहो रेड इंडीयन लोग और प्राचीन मिस्र (इजीप्त) के लोग प्राणी-पंछीओका शिकार के लिए बूमरेंग बनाते थे और उसका शिकार के लिए हथियार के तौर पर उपयोग करते थे । प्राचीन इजीप्त का एक प्रख्यात किशोरवय का राजा तुतओखआमेन जो 2000 साल पहले गुजर गया था, उन्हे ऎसे अलग अलग डिजाइन, आकार और कद वाले बूमरेंग का संग्रह करने का शोख था । उसके पास बहोत सारे अलग अलग प्रकार के बूमरेंग थे ।
हजारो साल पहले भारत से होकर ब्रह्मदेश, आन्दामान, मलाया तथा न्यूगिनी से ऑस्ट्रेलिया जैसे देशो मे बसे हुऎ आदिवासी लोग रीटर्नींग और नोन रीटर्नींग (शिकारी) ऎसे दो प्रकार के बूमरेंग बनाते थे । उस समय ज्यादातर नोन रीटर्नींग यानी की शिकारी बूमरेंग इस्तेमाल होता था । शिकारी – hunting बूमरेंग कायलीज (kylies) और कार्लिस (karlies) के नाम से जाना जाता था । इस प्रकार के बूमरेंग हवा मे सीधी दिशा मे गति करते थे । जबकी रीटर्नींग बूमरेंग हवा मे अंग्रेजी 8 आकार मे घूमकर वापस आता था । आदिवासी लोग शिकार के लिऎ बूमरेंग पक्षीओके झूंड की ओर फेंकते थे, घूमते हुऎ बूमरेंग से आवाज उत्पन्न होती थी उससे पक्षी डरकर बचने लिए नीचे की ओर जाते थे, जहां शिकारीने जाल बिछाया होता था । जहां पक्षी उस जाल मे फंस जाते और कुछ पक्षीओ को बूमरेंगकी फटकार भी लगती थी, जिससे उनकी मोंत भी होती थी ।
ऐतिहासिक रूप से, बूमरेंग का उपयोग शिकारी हथियार, संगीत साधन, बेटल क्लब्स, फायर स्टार्टर और खिलोने के रूप मे किया जाता था । सबसे पहले उसका उपयोग सिर्फ शिकार के लिऎ ही होता था, बाद मे युद्ध और खेल-मनोरंजन जैसी आदि प्रवृत्तिओ मे होने लगा । सबसे छोटा बूमरेंग 10 सेमी का होता है और सबसे बडा यानी की लंबा बूमरेंग 180 सेमी का होता है । ओस्ट्रेलियन आदिवासी लोगो के द्वारा जो बूमरेंग बनाये जाते थी, उसमे वहां की परंपरा-संस्कृति को दर्शाते हुए चित्र भी शामेल होते थी । वह बूमरेंग आदिवासी चित्रकला की डिजाइन वाले होते थे । विश्व के कइ जगहो पर खोज के दौरान मिले हुऎ पुराने पथ्थर चित्रो (रोक आर्ट) पर “कांगारू की ओर बूमरेंग फेंकते हुऎ” जैसे द्रश्य देखने को मिलते है । ओस्ट्रेलिया के किम्बर्ली विस्तार की 50000 साल पुरानी स्वदेशी ऑस्ट्रेलियन रोक आर्ट क्लब मे “फेंक्ते हुए बूमरेंग” के चित्र शामेल है । दक्षिण ऑस्ट्रेलिया के वायरी स्वेम्पके पीट बोगमेसे 10000 बी.सी. के समय के सबसे पुराने ऑस्ट्रेलियन ऎबओरिजीनल बूमरेंग्स मिले है ।
बूमरेंग के मूल दो प्रकार है – वापस आने वाला (Returning) और वापस नहीं आनेवाला (Non Returning) । वापस आने वाला बूमरेंग ज्यादातर खेल-मनोरंजन के लिऎ होता था, जबकि वापस नहीं आने वाले बूमरेंग का उपयोग शिकार के लिए किया जाता था ।
रीटर्नींग बूमरेंग मानव द्वारा निर्मित सबसे पहेला उडान भरने वाला “हवा से भारी” साधन है । ये अन्ग्रेजी “L” आकार वाला बूमरेंग सबसे जाना हुआ प्रख्यात प्रकार है । ज्यादातर इसी प्रकार के बूमरेंग हमे देखने को मिलते है । इस बूमरेंग का उपयोग खेल-मनोरंजन के लिए ही होता था । रीटर्नींग बूमरेंग मे हवा मे घूमती हुइ पर संतुलित उडान देने लिऎ उसमे दो से ज्यादा Airfoil पंख होते है, जो बूमरेंग को संतुलित उडान देते है । और ये बूमरेंग विज्ञान के हवागतिशास्त्र (ऎरोडाय्नेमिक्स) नियम अनुसार हवा मे घूमता है, और घूमकर वापस आता है । खेल मे इस प्रकार के बूमरेंग का उपयोग भी पक्षीओको उडाने के लिऎ होता था । प्राचीन इजिप्तियन लोग रीटर्नींग बूमरेंग का उपयोग करते थे । रीटर्नींग बूमरेंग वजन मे हल्का, पतला और संतुलित होता था । वो लगभग 12 से 30 इंच की लंबाइ का और वजन मे 340 ग्राम का होता था । इस प्रकार का बूमरेंग अलग अलग एंगल (कोने) साइज और विविध आकारोमे मिलते है । बूमरेंग बनने के बाद उसे राख मे रखा जाता है, जीसकी गरमाहट की वजह से बूमरेंग की दोनो बाजु एकदूसरेकी विपरीत दिशा मे टेढी हो जाती है । रीटर्नींग बूमरेंग को नोन रीटर्नींग बूमरेंग का विकसीत रूप मान जाता है ।
वापस नहीं आने वाले बूमरेंग को शिकारी लकडी (Killing Stick or Hunting Stick) और फेंकनेवाली लकडी (Throwing Stick) भी कहा जाता है । नोन रीटर्न बूमरेंग का उपयोग शिकार के लिए होता था । इस प्रकार का बूमरेंग भी अंग्रेजी ‘ऎल’ आकार का ही होता है पर उसे कुछ इस तरह से डिजाइन किया जाता है की वो सीधी दिशा मे गति कर सके और लक्ष्य को भेद सके । यह बूमरेंग रीटर्नींग बूमरेंग से वजन मे भारी, सीधा और लंबा होता है । यह बूमरेंग बहोत घातक होता है । केलिफोर्निया और ऎरिझोना के मूल अमेरिकावासी बूमरेंग का उपयोग पक्षी और खरगोश के शिकार के लिए मारने मे करते थे । वे लोग ज्यादातर नोन रीटर्नींग बूमरेंग का उपयोग करते थे । ये बूमरेंग संतुलित होता है, जो रीटर्नींग बूमरेंग बनाने से भी ज्यादा कठीन होता है । कदाचित किसी शिकारीने रीटर्नींग बूमरेंग के वापस आने वाले गुण को नोटीस किया होगा, जीसकी वजह से इस बूमरेंग को भी सीधी दिशा मे फेंकने का प्रयास करता था । ऑस्ट्रेलियन आदिवासी लोग ज्यादातर नोन रीटर्नींग बूमरेंग का उपयोग ही करते थे, जो शिकार के लिऎ बेहतर होते थे । कांगारू से लेकर तोत्ते तक के शिकार के लिए इस प्रकार के बूमरेंग का उपयोग होता था । ये बूमरेंग लगभग 100 मीटर की उडानश्रेणी वाला और 2 किलो वजन का होता था । ये बडा ही घातक बूमरेंग था, जीससे बडे बडे प्राणी-पक्षी भी एक ही झटके मे बहोत ही बुरी तरह से घायल होते थी या फिर उसकी मोंत हो जाती थी । कांगारू का शिकार के लिए इस लकडी को हवा की सीधी दिशा मे टेढी क्हाल से फेंका जाता था, जो सीधे उसके पेरों और घूंटने मे लगता था । लम्बी गरदन वाले इमु के शिकार के लिऎ बूमरेंग को इमु की गरदन की ओर फेंका जाता था ।
बूमरेंग फेंकने की पद्धति में ज्यादा कुछ बदलाव नहीं है । हम सब लोगो ने गोला फेंक, भाला फेंक, चक्र फेंक देखा ही होगा, बस इसी तरह ही बूमरेंग फेंकना होता है । पर हर खेल के नियम और पद्धति अलग होती है ।
बूमरेंग को तेज रफ्तार से फेंकने लिए व्यक्ति को थोडी कदम पीछे दोडना पडता है (क्रिकेट की तरह) । बूमरेंग के नीचले वाला सीरा (भाग) एक हाथ से पकडकर, उसे कन्धे की ओर पीछे ले जाते हुऎ, अपने लक्ष्य की और केन्द्रित करके तेज रफ्तार से पुरे दबाव के साथ लक्ष्यकी ओर फेंका जाता है ।
बूमरेंग को फेंकने से पहले एक मजबूत Wrist Movement होती है, जीसमे बूमरेंग को हाथ में पकडकर हाथ को गोल गोल घुमाना होता है । इससे बूमरेंग की उड्ड्यन पद्धति को निर्धारीत किया जा सके । उसको नीचे की ओर से फेंका जाये तो, वह 50 फूट से भी ज्यादा उंचाइ तक उपर की ओर उडेगा । और अगर उसके जमीन पर पटककर फेंकने मे आये तो, हवा मे तेज रफ्तार से Ricochets (बाउन्स) करता है और घुमता हुआ 50 यार्ड्स मे लंबगोल घूमकर वापस फेंकने वाले के पास या फिर उसके नजदिक आकर गीरता है ।
बूमरेंग एक ऎसा प्राचीन शिकारी शस्त्र जो पथ्थरयुग के समय मे भी विज्ञान के नियम कैसे काम करते थे ये बताता है । ऎक साधारण सी लकडी जो किसी घातक हथियार से कम नही थी । यह आज ऑस्ट्रेलिया का आइकोन बन गइ है । समय बदला युग बदला पर् उसके घूमने की प्रतिक्रिया मे कोइ भी बदलाव नहीं आया, जो प्राचीन जगहो से मीले हुए सबूतो से पता चलता है । बदलते समय के साथ शिकार के लिए इस्तेमाल होता घूमता हुआ बूमरेंग खेल का हिस्सा बन गइ । सच मे बूमरेंग नामकी इस लाजवाब स्टीक का कोइ जवाब नहीं ।