आज तक हम सबने हाथी और चींटी, हाथी और शेर की कहानीयां, चुटकुले ही सुने होंगे, पर हाथी और कुत्ते की दोस्ती की कहानी शायद ही सुनी होंगी या फीर यहां पहली बार सुन रहे होंगे । इस वार्ता के शुरू होने से पहले हमारे भारत मे सामान्य तौर पे सब लोग हाथी और कुत्ते का रिश्ता बिल्ली और चुहे के जैसा मानते थे । हाथी और कुत्ते को नेचरल एनिमिझ मानते थे । जनरली विशाल हाथी को देख कर कुत्ता अपने डर को छुपाने के लिए जोर जोर से भोंकने लगता है और कुत्ते को देखकर हाथी गरम मिजाज का हो जाता है, उनपे हमला करने के लिए दोडता है । लेकिन आज हम जो कहानी सुनने जा रहे है वो दोस्ती की एक अनोखी मिसाल पेश करेंगा ।

एक समय की बात है, एक शाही हाथी किसी राजा के तबेले मे रहता था । हाथी दिखने मे तो काफी आकर्षक, तन्दुरस्त लगता था । महल का शाही भोजन मिलने की वजह से हाथी काफी तन्दुरस्त था । उसीके ठीक बाजुमे एक कुत्ता रहता था जो दिखने काफी दुर्बल था, रोज खाना ना मिलने की वजह से । शाही हाथी को रोज खाने मे शाही मीठे चावल मिलते थे । चावल की खुश्बु कुत्ते को आकर्षित कर उसे हाथी के तबेले तक ले आती थी । हाथी जब खाना खाता था तब वह कुत्ता छुपकर् देखता था । उसी दौरान जब हाथी के मून्ह से कुछ चावल गीरते थे, तब वह कुत्ता वहा जाकर हाथी के मून्ह से गीरे हुए चावल खाता था । जब की हाथी को पता ही नही था की उनके साथे एक कुत्ता भी चावल खा रहा है । एसा रोज चलने लगा । हाथी के खाने के टाइम पर कुत्ता वहां पहूंच जाता था और हाथी के मूह से गीरे हुए चावल खाता था । धीरे धीरे शाही चावल खाकर वह कुत्ता तन्दुरस्त और बहोत ही आकर्षक दिखने लगा । हाथी को जब पता चला की कुत्ता चावल खा रहा है, तब दयालु हाथी उन्हे खाना खाने देता था । इस वजह से धीरे धीरे कुत्ते को भी हाथी का डर नहीं लगता था और हाथी को भी उस कुत्ते से कोइ समस्या नहीं होती थी । धीरे धीरे ये दोनो अच्छे दोस्त बन गये । दोनो साथ मे खाना खाते थे, खेलते थे, एकसाथ समय गुजारते थे । हाथी अपनी लम्बी सूंढ पर कुत्ते को बिठाकर आगे-पीछे, आसपास घूमाता था । वो दोनो एक दूसरे के सच्चे और पक्के दोस्त बन गये और कभी भी जुदा नहीं होना चाहते थे ।

फिर एक दिन किसी गांव से एक अंजान आदमी आया । जब वो हाथी के तबेले से गुजर रहा था तब उसने उस प्यारे और आकर्षक कुत्ते को हाथी के साथ खेलते हुए देखा । उसको वो कुत्ता बहोत पसन्द आ गया । उसने उस कुत्ते को महावत से खरीद लिया, हांलाकी वह कुत्ता उस महावत का था भी नहीं । वह अंजान आदमी उस कुत्ते को खरीदकर अपने गांव ले गया । अपने दोस्त के जाने की वजह से हाथी एकदम सा उदास हो गया, उसने खाना-पीना, नहांना सब छोड दिया । हाथीकी इस हालत को देखकर महावत ने जाकर राजा से शिकायत की । राजाने इस समस्या के बारे मे मंत्री से सलाह मश्वरा लिया । समजदार मंत्री को लगा की जानवरो का भी इंसान जैसा है, उनमे भी इन्सान की तरह भावनाएं होती है । मंत्री हाथी के तबेले मे गये वहां जाकर देखा की हाथी काफी उदास था । उन्हे भी लगा की ये हाथी तो हंमेशा खुश रहने वाला प्राणी था, फिर क्या हुआ ?? उन्होने वहां चोकीदारो से पूछा तो उन लोगोने कहां की, “हाथी की एक कुत्ते के साथ बहोत ही अच्छी दोस्ती हो गइ थी । 

वो दोनो हंमेशा साथ मे रहते थे, साथ मे खाना खाते, खेलते, टहेलते । हाथी को अपने प्यारे दोस्त के चले जाने से बहोत ही दु:ख हुआ है । उनके दोस्त को कोइ गांव वाला अपने घर लेके गया है ।“ ये सब जानने के बाद मंत्रीने वैद्य को बुलाया तब उन्होने भी बताया की हाथी को कोइ भी बिमारी नहीं है, बस वो उदास है । मंत्रीजी ये सारी खबर लेके राजा के पास गये और उन्होने बताया की, राजा आप निश्चिंत रहीए आपका हाथी एकदम स्वस्थ है, उन्हे कोइ बिमारी नहीं है, बस वो खाली उदास है अपने दोस्त (कुत्ते) के जाने की वजह से । ये सुनकर राजाने कहां की, मित्रता जीवन का अमूल्य भाग है । और राजाने मंत्रीजी को ये भी कहां की, “मे अपने हाथी को खुश देखना चाहता हुं, एसा क्या करे की वो फिर से खुश हो जाए” । मंत्रीजी ने कहां की, हम हमारे राज्य मे एक एसी जाहेर खबर कर दे की जीस किसी ने भी हाथी के तबेले मे से कुत्ता लिया है वो वापिस कर जाए, अन्यथा उसे उनका दंड भरना पडेगा । दूसरे ही दिन वो अंजान आदमी जो कुत्ता ले गया था, वापिस उसे उस हाथी के तबेले मे छोड गया । हाथी को देख कुत्ता बडी तेज रफ्तार से हाथी की और दोडा और हाथी भी अपने दोस्त की तरफ दौडा । हाथी की आंखो मे अपने दोस्त के मिलने की खुशी साफ साफ दिखाइ दे रही थी । जैसे ही कुता नजदीक आया हाथी ने अपनी सूंढ से उसे अपने सिर पर बीठा दिया । कुता भी काफी खुश था अपने दोस्त के मिल जाने से । ये द्रश्य देखकर राजा भी बहोत ही खुश हुए, क्योकि उनका हाथी अब पहले की तरह खुश था । राजाने मंत्रीजी के इस काम की खुब सराहना की और उसे यथाउचित्त पुरस्कार दिया । अब हाथी फिर से अपने प्यारे से दोस्त कुत्ते के साथे खुश खुशाल जिन्दगी बिताने लगा था ।

सीख :

इस कहांनी से हमे यह सीख मिलती है की, जीवन मे दोस्ती की अहमियत कितनी होती है । नेचरल एनिमिझ होने के बावजुद भी, जानवरो मे भी दोस्ती होती है । दोस्ती मे रूप-रंग, उच-नीच कुछ नहीं होता ।

Friendship is a wonderful thing in life...

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