आज हम बात करेन्गे भारत देश के गौरवपूर्ण प्रतिक की जो हमारे त्रिरंगे की शान बढाता है । भारत देश का वो प्रतिक जो हमारी करन्सी नोटॉ, संविधान और कइं सरकारी दफ्तरो पे पाया जाता है । एक एसा प्रतिक जो मानवजात को महत्त्वपूर्ण उपदेश देता है । इस प्रतिक का हरेक हिस्सा हमारे जीवन से जूडा है । तो आज हम बात करेंगे भारत देश के राष्ट्रध्वज के बीच में स्थित अशोकचक्र के बारे में साथ ही जानेंगे की यह् अशोकचक्र कहां से लीया गया है ? उसमे 24 तीलिया ही क्यु है ? ये तीलिया क्या सन्देश देती है ? वगेरे.
पहले हम अशोकचक्र के बारे में सामान्य जानकारी लेंगे । अशोकचक्र भारत देश के राष्ट्रध्वज के बीच स्थित है । अशोकचक्र नीले रंग का है और उनमे 24 तीलिया है । अशोकचक्र हंमेशा घडी की तरह घूमता रहता है जो हमे निरंतर गतिशील रहने का सन्देश देता है । उसमे मौजुद 24 तीलिया दिन के 24 घंटो को दर्शाती है । इसी लिए अशोकचक्र को ‘समय चक्र’ भी कहते है । अशोकचक्र का बौद्ध धर्म मे भी उल्लेख है जहां उन्हे “धर्मचक्र” के नाम से जाना जाता है जो भगावन बुद्ध द्वारा कथित 24 जीवनमूल्यो एवम सिद्धांतो को दर्शाता है ।
अब हम बात करेंगे की अशोकचक्र अशोकचक्र कहां से लीया गया है ? अशोकचक्र नाम से ही आप जान गये होंगे की इस चक्र का सम्राट अशोक के साथ कोइ नाता होगा, तो आप सही है । अशोकचक्र भारत के सम्राट अशोक के नाम से बनाया गया है जो सारनाथ स्थित अशोक स्तंभ में स्थित है । ये स्तंभ में चार सिंह खडे है चारो दिशा की तरफ मूख रखे हुए, नीचे घोडा, हाथी, वृषभ (सांढ) प्राणीओ के बीच अशोकचक्र मोजुद है ।
सम्राट अशोक ने अपने स्तंभ मे अशोकचक्र को स्थान कैसे दिया अब हम उसके बारे मे बात करेंगे । जैसा की आप सब जानते है की सम्राट अशोक ने बौद्ध धर्म अपना लिया था । बौद्ध धर्म में यह चक्र ‘धर्मचक्र’ के रूप से जाना जाता है जो निर्वाण का सन्देश देता है । भगवान बुद्ध ने जब निर्वाण प्राप्त कर लिया था तब उन्हे जीवन के 24 बहुमूल्य सिद्धांत का साक्षात्कार हुआ था जिनका सन्देश उन्होने उनके शिष्यो को भी दिया था और सारी मानवजाति को दिया था । भगवान बुद्ध से प्रभावित होकर ही सम्राट अशोक ने इस धर्मचक्र को अपने स्तंभ मे अंकित किया । और ये धर्मचक्र आज भी कइ पौराणिक मन्दिरो में पाया जाता है । सम्राट अशोक ने यह अशोकस्तंभ करीब 250 बी.सी. के दोरान बनाया था । ये स्तंभ की उंचाइ 15.25 मीटर है और इस्का वजन 50 टन है । ये स्तंभ बनाने में करीबन साढे छ: साल का समय लगा था और 3,52,000 मजदूर इनको बनाने मे शामिल थे ।
26 जनवरी, 1950 के दिन अशोकचक्र को डॉ. भीमराव आंबेडकर के द्वारा राष्ट्रीय चिह्न के तौर पर संविधान में मंजूर किया गया था, और 22 जुलाइ, 1947 के दिन अशोकचक्र को हमारे तिरंगे के बीच स्थान दिया गया था । इसे पहले वहां चरखा मोजुद था । जो स्वावलंबी का सन्देश देता था ।
अशोकचक्र को वीरता पुरस्कार के रूप में भी दिया जाता है । यह पुरस्कार भारत सरकार द्वारा दिया जाने वाला शांति के समय का सबसे उच्च वीरता पुरस्कार है जो देश की रक्षा करने की फरज बजाते हुए सैनिको को उनकी असाधारण वीरता और शौर्य दिखाने और बलिदान देने के लिए उन्हे अशोकचक्र से सम्मानित किया जाता है । अशोकचक्र – शौर्य चक्र्, परमवीर चक्र्, महावीर चक्र की श्रेणी मे आने वाला पुरस्कार है ।
अब हम बात करेंगे की अशोकचक्र में मोजुद 24 तीलिया क्यां सन्देश देती है । अशोकचक्र की 24 तीलिया हमे निम्नलिखित सन्देश देती है ।
अब हम अशोकचक्र के बारे मे कुछ रोचक बाते जानेंगे ।
तो यह बात थी अपने भारत देश की शान अशोकचक्र की । जो हमे निरंतर कार्य करने और प्रगति करने की प्रेरणा देता है और उसके अलावा हमारे जीवनमूल्यो को भी दर्शाता है । और ये कइ धर्म से जूडा हुआ है, और वहा अलग अलग नाम और उद्देश्य से जाना जाता है । अशोकचक्र हंमेशा सब भारतीयो के ह्रदय में एक प्रेरणात्मक स्त्रोत की तरह् सम्मानीय रहेंगा ।