आज हम बात करने वाले है एक शानदार, लजीज नमकीन के बारे मे, जीसका नाम सूनने से हमारे दिमाग मे उसका चित्र सामने आ जाता है और मून्ह मे पानी । ये एक एसा नाश्ता है जो पूरे भारत मे सब जगह मिलता है और घर पर कोइ महेमान आए तो 90 % चाय के साथे यही नाश्ता होता है । इस नाश्ते के बारे मे हमे एसा लगता है कि यह भारत का ही है, पर नही ये नाश्ता बहार से आया हुआ है । आपको थोडा अन्दाजा तो आ ही गया होगा की किस चीज के बारे मे बात कर रहे है । तो चलीए आज हम बात करेंगे हम सबके चहीते और भारत के राष्ट्रीय और लाडले नाश्ते समोसे के बारे मे । यहां हम जानेंगे की समोसा कहां से आया है ? किन किन नामो से जाना जाता है ? और जानेंगे कुछ उसकी विशेष बाते।

पहले हम समोसे के बारे मे सामान्य जानकारी ले लेंगे । समोसा मैदा या गेन्हु का आंटा, उबले हुए आलू - मटर, रेग्युलर मसाले की मदद से बनता है । समोसा त्रिभूज (त्रिकोण) आकार का (आंटे की रोटी का triangle आकार बनाते है) होता है जीसमे आलु-मटर का स्टफिंग भरते है और बाद मे उसे तेल मे गोल्डन ब्राउन होने तक तलते है । समोसा को हरी चटनी, इमली की चटनी, टमाटर के सोस और कभी कभी चाय के साथ परोसा जाता है । समोसा शाकाहारी और मांसाहारी दोनो तरह का बनाया जाता है, परंतु ज्यादातर सब जगह शाकाहारी समोसा पाये जाते है । आलू मटर वाला समोसा सबको ज्यादा खाये जाना वाला समोसा है । अब तो समोसा कइ फ्लेवर और क्युजिन मे मिलता है जैसे की – पंजाबी समोसा, चाइनीझ समोसा, चोकलेटी समोसा आदि. समोसा भारत देश के अलावा दक्षिण-पूर्व एशिया, मध्य एशिया, दक्षिण-पश्चिम एशिया, अरेबिया देश, आफ्रिका आदि देशो मे भी पाया जाता है । 

समोसा कइ अलग नामो से जाना जाता है जैसे की – सिंघोडा, सम्बोसा, सम्बोसक, समोसा, सौमसा, समूसा, समूजा.

हम सब लोगो को एसा लगता है समोसा एक भारतीय व्यंजन है पर नहीं, समोसा भारत के बाहर से आया हुआ व्यंजन है । तो चलो हम जानते है की समोसा आखिर भारत पहूंचा कैसे ?? समोसा शब्द फारसी शब्द “सम्मोकसा” से आया है । समोसे की उत्पत्ति दसवी सदी मे मध्य पूर्व एशिया मे हुए थी । दसवी सदी के इरान इतिहास मे अबुल फझल बेहांगी ने अपनी किताब “तारीक–ए–बेहांगी” मे समोसे का जिक्र किया था । उस हिसाब से कहा जा सक्ता है की समोसा दसवी सदी मे मोजूद था और कदाचित उसकी उत्पत्ति दसवी सदी से पहले हुइ होगी । इस दोरान समोसा “सम्बोसा” के नाम से जाना जाता था ।

दसवी से तेरहवी सदी के दोरान, अरेबियन पाकशास्त्र की किताब मे भी समोसे का जिक्र किया गया था, जीसमे वह “सम्बुसक” के नाम से जाना जाता था । यह अरबी शब्द “सम्बुसक” फारसी शब्द “सम्बोसा” से काफी मिलता जूलता था । इस दोरान इजिप्त, सीरीया, लेबनन जैसे देशो मे समोसा “सम्बोसक” के नाम से जाना जाता था । इस शुरूआती दोर का समोसा (सम्बोसक्) अर्धवर्तुल आकार का हुआ करता था, जीसमे प्याज, मांस (मीट), सुखे मेवे (नट्स) का स्टफिंग भर के तेल या घी मे तला जाता था ।

चौदवी सदी मे जब मध्य पूर्व एशिया के व्यापारी भारत आये तब वस्तु के साथ ये स्वादिष्ट व्यंजन भी लाये । जैसे एक मुसाफिर अपने वतन का खाना दुसरे देश और राज्य मे मुसाफरी के दोरान खाने के लिए ले जाए उसी तरह बहारी देश के व्यापारी अपनी वस्तु के साथ साथ अपना रीजनल फुड भी भारत ले आए । और जैसे हम लोग मुसाफरी के दोरान अपना खाना दुसरे लोगो को शेर करते कुछ इस तरह इन व्यापारीयोने भी भारतीय व्यापारो को ये ओफर किया एक स्वादिष्ट व्यंजन के तोर पर । इम सब व्यंजनो मे समोसे ने सबका दिल छू लिया और समोसा हंमेशा के लिए भारत का हो गया । समोसे का लजीज स्वाद भारतीय लोगो की जुबान पर हंमेशा के लिए छा गया, तभी तो भारतीय लोग नाश्ते मे समोसा को प्राथमिक्ता देते है ।

तेरहवी सदी के महान कवि अमीर खुशरोने (1253-1325) जब पहलीबार समोसे का लुफ्त उठाया था, तब उसको ये समोसे का स्वाद कुछ इस तरह से पसन्द आ गया था की उसने समोसे को अपनी शाही दावत मे शामिल कर दीया था । दिल्ही सल्तनत के समय मे मीट वाले घी मे तले हुए समोसे शाही परिवारो के सदस्यो एवम अमीर घरानो के प्रिय व्यंजन था।

चौदवी सदी मे इब्नबतूता जब भारत की यात्रा पर था तब उसने उसने तुघलक के दरबार का वर्णन करते हुए कहा की – भोजन के वक्त उसे मसालेदार मांस (मीट). मूंगफली और बादाम के मिश्रण (स्टफिंग) वाले लजीज समोसे परोसे गये थी । उस लजीज समोसे का लुफ्त वहां मौजुद सभी लोगो ने उठाया था ।

सोलहवी सदी के मुघल दस्तावेज “आयने अक्बरी” मे भी समोसे का बकायदा जिक्र किया गया था । समोसा भारत के अलावा नेपाल, पोर्टुगल, इजरायल, अमेरिका जैसे विश्वभर के कइ देशो मे पोप्युलर है ।

अब हम समोसा की बारे मे कुछ विशेष बाते करेंगे ।

  • समोसा भारतीय व्यंजन नहीं है ।
  • समोसा पहले मांसाहारी था फिर शाकाहारी स्वरूप मे बनाया गया ।
  • समोसे को हरी चटनी, इमली की खट्टी चटनी के साथे परोसा जाता है । उसे चाय के साथ भी खाया जाता है ।
  • दुनियाभर के अलग अलग स्वाद के समोसे मे, भारत का शाकाहारी समोसा सबसे ज्यादा खानेवाला समोसा है ।
  • भारत मे समोसा बच्चो से लेके बडो तक, अमीर से लेके गरीब तक – सभी लोगो का पसंदीदा है ।
  • उत्तर-पूर्व भारत मे बडी साइज के समोसे मिलते है और यहां ये “सिंघाडा” के नाम से जाने जाते है । वहीं दक्षिण भारत के आन्ध्र प्रदेश मे छोटी साइज के समोसे मिलते है । यहां ज्यादातर मीट से बने समोसे ज्यादा मिलते है ।
  • गुजरात, बिहार जैसे राज्यो मे आलु से बने हुए शाकाहारी समोसे मिलते है । गोवा जैसे कुछ् राज्यो जहां नोन वेजीटेरियन लोग रहते हो वहां मांसाहारी समोसे ज्यादा मिलते है ।
  • समोसा नेपाल मे “सींगोडा”, म्यानमार मे “समुसा”, पोर्टूगल मे “चमुकस”, अरेबिया मे “समसास”, आफ्रिका मे “सम्बुसा”, इजरायल मे “सम्बुस” आदि नामो से जाना जाता है ।
  • बदलते समय के साथ समोसे ने भी अपना रूप बदला जैसे की – पंजाबी, चाइनीझ, मेक्सिकन, चोकलेटी, पनीर और बहोत कुछ ।
  • भारत के सभी राज्यो मे मिलने वाले समोसे मे सभी राज्यो के लोग अपने राज्य के क्युजिन अथवा पारंपरिक खाने के स्वाद के हिसाब से समोसा बनाते है ।
  • विदेशो मे समोसा को ओवन मे बेक करके बनाया जाता है । वहां के लोग घी और तेल से फ्राय किया हुआ खाना ज्यादा पसन्द नही करते ।
  • अब तो समोसा फ्रोजन फूड के स्वरूप मे भी मार्केट मे उपलब्ध होते है । पेकेट मे कच्चा समोसा होता है, घर आ कर बस उसे तेल मे तलना होता है ।

तो ये थी हमारे शानदार और लजीज समोसे की बात । समोसे खाते खाते हमने कभी सोचा भी नही होगा की समोसे का भी इतिहास होगा । समोसा एक एसा नमकीन व्यंजन जो आया तो परदेश से था पर हंमेशा के लिए भारत का हो गया । समोसा भारत का कुछ इस तरह से हो गया की भारतीयो लोगो ने अपनी आम जिन्दगी मे भी उसे नाश्ते के तोर पे शामिल कर लिया । हमारा भारत ना केवल परदेशियो को आश्याना देते है परंतु परदेश के व्यंजनो को भी अपना बना लेता है । समोसा हंमेशा हमारे लिए भारत का राष्ट्रीय नाश्ता रहेंगा ।

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