आज हम बात करने वाले हैं एक ऐसी फ्लेग के बारे में जो हमारी प्रार्थनाओं को ईश्वर तक पहुंचाती है। आज तक हमने फ्लेग यानी की झंडियों को सिर्फ युद्ध में किसी राज्य का प्रतिनिधित्व करते हुए ही देखा होगा। हरेक राज्य उनकी झंडियों के प्रतीक से जाना जाता था, मतलब की झंडे / ध्वज राजा और राज्य की पहचान हुआ करता था। परन्तु आज हम जिस झंडीयो के बारे में बात करेंगे वह प्रार्थना के तौर पर धार्मिक कार्य में इस्तेमाल होती है। किसी बौद्ध मठ और स्तुपो या फिर लेह लद्दाख की यात्रा के दौरान हमने हवा में लहरती हुई कुछ रंगबिरंगी झंडिया देखी होगी जो काफी ऊंचाई पर बंधी होती है। आजकल इन फ्लैग्स का इस्तेमाल सजावट के तौर पर होता है परन्तु उसके पीछे बड़ी रोचक कहानी और इतिहास एवं महत्त्वपूर्ण संदेश है । तो चलिए जानते है - तिब्बती प्रार्थना ध्वज यानी की तिबेटियन प्रेयर फ्लेग के बारे में।
पहले प्रेयर फ्लेग का सामान्य परिचय जानेंगे।
प्रेयर फ्लेग यानी की प्रार्थना ध्वज एक लंबचोरस आकार की छोटी छोटी रंगबिरंगी झंडीया होती है जिन्हे एक रस्सी में एक ही कतार में बांधा जाता है। इस फ्लेग में ब्लू (आसमानी), सफेद, लाल, हरा और पीले रंग की फ़्लेग्स होती है। यह फ्लेग बुद्धिस्ट स्तूप या मठो में पाई जाती है, इसी लिए इन्हें बुद्धिस्ट प्रेयर फ्लेग कहते है। और इनकी शुरुआत तिब्बती बौद्धों द्वारा हुए थी इसी लिए इन्हें तिब्बती प्रेयर फ्लेग भी कहा जाता है। इन फ़्लेग्स को ऊंचाई पर लगाया जाता है, जिससे वो आसानी से लहरा सके। स्तूपो और मठो के अलावा यह फ्लेग हमें लेह लद्दाख की बीच में आने वाली पहाड़ियों, और वहां के घरों पर और लेह लद्दाख जाने वाले बाइकर्स के पास भी हमें देखने को मिलती है। यह फ्लेग शांति, करूणा, शक्ति और समझदारी का संदेश देती है। तिब्बती फ्लेग का उपयोग पूरे विश्व में अच्छाईयो एवं शांति को फैलाने के लिए, और भगवान को खुश करने लिए होता है। इसके अलावा ऐसा माना जाता है कि - हवा में ऊंची लहराती यह प्रेयर फ्लेग हमारी प्रार्थनाको भगवान तक पहुंचाती है। प्रेयर फ्लेग की हर एक फ्लेग का रंग हमें कुछ न कुछ जीवन संदेश देता है।
अब हम उसके इतिहास की बात करेंगे।
हजारों साल पहले, तिब्बत के बुद्धिस्ट लोग इस फ्लेग का इस्तेमाल करते थे। तिब्बत में बौद्ध धर्म के लोग बोन के नाम से जाने जाते है। तो प्रेयर फ्लेग का सबसे पहले इस्तेमाल तिब्बत के बोन प्रेक्टिशनर्स यानी की बोन धर्म के लोगो ने किया था। बोन लोगो की शामनवादी प्रथा में प्रेयर फ्लेग बड़ी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता था। बोन धर्म के शामन यानी कि पादरी इस फ्लेग का उपयोग अपने धार्मिक कार्यों एवं प्रथाओं और समारोह में करते थे। ये शामन लोग आध्यात्मिक विश्व के साथ जुड़े हुए होते थे। उनके पास बीमार लोग को ठीक करने की, आत्माओं के साथ बात चीत करने की, मृतकों के आत्माओं को उनके अगले जीवन में ले जाने - जैसी अलौकिक शक्तिया होती थी। प्राचीन धार्मिक प्रथाओं में यह शामन लोग धार्मिक समारोह और लोगो के उपचार करने लिए इन रंगीन झंडियों का इस्तेमाल करते थे। (जैसे फकीर लोग नजर उतारने के लिए जो इस्तेमाल करते है) बोन धर्म में, इस प्रेयर फ्लेग का उपयोग कुदरती आफते को रोकने के लिए प्राकृतिक तत्वों को शांत करने के लिए होता था।
४वी सदी के दौरान जब बौद्ध धर्म का प्रभाव बढ़ता गया। तब इनके साथ बौद्ध धर्म के साधुओं और उनको मानने वाले लोग भी बौद्ध धर्म के प्रसार करने के लिए बौद्धी सूत्र के साथ साथ इस प्रेयर फ्लेग का भी इस्तेमाल करने लगे। इस फ्लेग में रंगों के साथ बौद्ध धर्म के सूत्रों, मंत्रो भी शामिल थे, जो लोगो को जीवन का महत्वपूर्ण संदेश देते थे। इन झंडियों पर बौद्ध धर्म के साधुओंने प्राचीन संस्कृत और तिब्बती भाषा में उनके धार्मिक प्रतीकों और सूत्रों, मंत्रो को अंकीत किया था। झंडियों पे छपे यह प्रतीको शांति, समृद्धि, बुद्धिमत्ता और करुणा के लिए प्रार्थना करते थे।
तिब्बती प्रेयर फ्लेग की परंपरा का सिलसिला सन - १९४९ तक जारी रहा। १९४९ के बाद जब चीन के माओ झेडोंग द्वारा तिब्बत पर आक्रमण हुआ तब तिब्बत के लोगो के साथ उनकी धार्मिक प्रथाओं, संस्कृतियों और साहित्यका भी भारी मात्रा में नुकसान हुआ था। इस आक्रमण में करीब १.२ मिलियन से भी ज्यादा तिब्बती लोगो की हत्या की गई थी। उसके अलावा ६००० से भी ज्यादा बौद्ध मठो का नाश किया गया था और हजारों तिब्बती लोगो को बंदी बनाया गया था। इस घातक आक्रमणकारियों ने तिब्बत के आध्यात्मिक गुरु दलाई लामा को भी मारने की धमकी दी थी और उसे तिब्बत छोड़ने लिए मजबुर किया था। इसका बुरा असर धार्मिक परंपरा और संस्कृति, यहां तक की धर्म पर भी पड़ा था। इस व्यापक विनाशी हमले से बौद्ध धर्म के धरोहर समान उनकी लिपिया, धार्मिक साहित्य, संस्कृति, परंपरा, प्रथाओं को भी काफी भारी हद तक नुकसान पहुंचा था। इस सब में से सिर्फ यह प्रेयर फ़्लेग्स ही टिका था और आज तक पूरी दुनिया में बौद्ध धर्म की गरिमा को बढ़ा रहा है। आज तिब्बती प्रेयर फ्लेग पर्वतों के शिखर पर, लोगो के घरों पर, बौद्ध मठो - स्तूपो पर शांति, करुणा जैसा विश्व व्यापी संदेश फैलाने के लिए हवा में लहराता हुआ दिखाई देता है।
युद्ध की घटना के बाद से तिब्बती प्रेयर फ्लेग का उपयोग तिब्बत को चीन से मुक्त करने के लिए एक मुक्त आवाज़ के तौर पे किया जाने लगा था।
अब हम प्रेयर फ्लेग में मोजूद अलग अलग रंगों की झंडियों के बारे में जानेंगे।
प्रेयर फ्लेग में ब्लू, सफ़ेद, लाल, हरे, पीले रंग की झंडिया होती है । और इन झंडियों को इसी क्रम में ही लगाया जाता है । यह झंडिया प्रकृति के पंच महाभूत पांच तत्वों को निर्देशित करती है । और इनके साथ हरेक झंडियों के रंग कुछ न कुछ संदेश देती है । जैसे:
इस झंडियों में पवित्र बौद्धी मंत्र "ओम मणि पदमे हम" भी दर्शाया हुआ होता है। इनके साथ यह शांति, करुणा, समृद्धि, समजदारी, शक्ति का संदेश देता है। इन हरेक झंडियों में बौद्ध धर्म के पवित्र प्रतीकों और सूत्रों - मंत्रो को भी दर्शाया गया है।
अब हम प्रेयर फ्लेग के प्रकारों की बात करेंगे ।
बुद्धिस्ट प्रेयर फ्लेग मुख्य दो प्रकार की होती है :
१) लूंग टा (lung ta)
२) दार चो (dar cho)
१) लूंग टा (lung ta) :- तिब्बती शब्द लूंग टा का अर्थ हवाई घोड़ा होता है। इस फ्लेग को दाएं से बाएं और ले जाते हुए (horizontally) लटकाया जाता है। जैसे हम घरों में तोरण लटकाते है वैसे। अगर इस फ्लेग को सही तरीके से लगाया जाता है तो वह हमारे जीवन में तंदुरस्ती और खुशियां लाता है। इस प्रकार के फ्लेग लोगो को घरों में, पर्वतीय मार्गो या शिखरों पर और बुद्धिस्ट स्तूप - मठ में पाए जाते है।
२) दार चो (dar cho) :- तिब्बती शब्द दार चो में दार का अर्थ होता है : समृद्धि, तंदुरस्ती बढ़ाने वाला और चो का अर्थ होता है : संवेदनशील तत्वों। इस प्रकार के फ्लेग को ऊपर से नीचे की और सीधे जाते हुए एक लकड़ी या लोहे के दंड के सहारे लगाया जाता है। जैसे हम किसी मन्नत की झंडी को लगाते है वैसे। इस प्रकार के फ्लेग ज्यादातर पर्वतों, छत, रास्तों पर पाए जाते है।
इन दोनों प्रकार के प्रेयर फ्लेग में सभी झंडियों को उनके रंग के क्रम के अनुसार ही लगाया जाता है, कोई भी रंग ऊपर नीचे नहीं होता। इन फ्लेग को हो सके तो काफी ऊंचाई वाली जगहों पर और ज्यादा हवा आती हो वहा लगाया जाता है, जिससे वो आसानी से बिना किसी अड़चनों के हवा में लहरा सके। इन फ्लेग को जमीन का स्पर्श नहीं होने देना चाहिए, उनका जमीन को छूना अशुभ माना जाता है। इसी लिए उसे ऊंचाई पर ही लगाया जाता है।
अब हम जानेंगे प्रेयर फ्लेग में दर्शाए हुए चिह्नो के बारे में।
हवाई घोड़ा (विंड हॉर्स) :- यह प्रतीक प्रेयर फ्लेग का महत्वपूर्ण और प्राथमिक प्रतीक है । वो सकारात्मक ऊर्जा और अच्छे भाग्य का प्रतीक है । यह हवाई घोड़ा अपनी हवा की तेज गति और घोड़े जैसी ताक़त के साथ हमारी प्रार्थनाओं को स्वर्ग की ओर भगवान के पास ले जाते हुए दर्शाता है । और यह प्रतीक आत्म ज्ञान, निर्वाण की इच्छा पूर्ति को भी दर्शाता है ।
अच्छा भाग्य : इन फ्लेग में अच्छे भाग्य को दर्शाते हुए आठ प्रतीकों को शामिल किया गया है। जैसे - दुष्ट तत्वों से रक्षण के लिए - छाता, शुद्धता को दर्शाने के लिए - कमल का फूल, सार्वत्रिक कायदा का निरूपण करता हुआ - धर्म चक्र आदि।
राजा की सात संपत्ति : राजा की सात संपत्ति को दर्शाते हुए - चक्र, हाथी, घोड़ा आदि जैसे शक्ति के प्रतीकों को शामिल किया गया है।
प्राणियों और पक्षियों :- प्रेयर फ्लेग में हवाई घोड़े के अलावा बाघ, बर्फीला शेर, गरुड़ और आकाशी ड्रेगन को दर्शाया हुआ है।
अब हम प्रेयर फ्लेग के बारे में कुछ रोचक जानकारी जानेंगे।
तिब्बती प्रेयर फ्लेग का इस्तेमाल बोन धर्म के लोग देवताओं को खुश करने के लिए करते थे। जो पर्वतों और प्रकृति के नियुक्त रक्षक थे। अगर ये देवता नाखुश हो जाए तो उससे कोई कुदरती आफत आती थी, ऐसा माना जाता था। इसी लिए इन आफतों को रोकने लिए इनका इस्तेमाल होता था।
प्रेयर फ्लेग पर वुड ब्लॉक यानी कि लकड़ी से बने ब्लॉक के जरिए उन पर बौद्ध मंत्रो, सूत्रों और प्रतीकों को अंकित किया जाता था। और इन झंडियों को काफी ध्यान से रंगा जाता था और उन पर यह प्रतीकों और सूत्रों को छापा जाता था।
ऊंचाई पर हवा में लहराते हुए इन प्रेयर फ्लेग में से कुछ तरंगे निकलती है, जो प्रभु तक पहुंचाती है। और ऐसा माना जाता है कि - अगर इस प्रेयर फ्लेग के सामने हम प्रार्थना करे तो, वो हमारी प्रार्थना को भगवान तक पहुंचाती है। इसका हवा में लहराना काफी शुभ माना जाता है।
इस फ्लेग को लगाने का दूसरा और कारण भी है। जैसे साल बदलता है, जिंदगी बदलती है तो उसी परिवर्तनशीलता को ध्यान में रखते हुए एक नई शुरुआत के तौर पर तिब्बती लोग अपने घरों की छतों पर पुराने फ्लेग के बाजू में नया फ्लेग लगाते है। परिवर्तनशिलता और नई शुरुआत - यह इस प्रेयर फ्लेग का आधुनिक समय का संदेश है।
तिब्बती लोग अपने नए साल के दिन यह प्रेयर फ्लेग को अपने घरों में लगाते है। ऐसा कहा जाता है कि - प्रेयर फ्लेग को लगाते वक्त अगर परिवार के सभी लोग वहा मोजूद हो तो उनका आपस में ज्यादा प्रेम बढ़ता है।
प्रेयर फ्लेग को भेंट के रूप में मिलना या देना काफी शुभ माना जाता है। यह एक लकी चार्म की तरह भी काम करता है जैसे - लाफिंग बुद्धा, ड्रीम केचर आदि।
आज कल प्रेयर फ्लेग का इस्तेमाल सजावट के तौर पर किया जाता है।
तो यह बात थी हमारे तिब्बती यानी कि बुद्धिस्ट प्रेयर फ्लेग की । एक ऐसी फ्लेग जो हमारी प्रार्थना को भगवान के पास पहुंचाती है। उनका ऊंचाई पर हवा में लहराना हमें संकेत देता है की - वह भगवान से जुड़ी हुए है और मानो वह समग्र विश्व में शांति को फैला रही हो। जब भी हम इस प्रेयर फ्लेग को देखते है तो - मन में कुछ पॉज़िटिव एनर्जी आ जाती है और मन में एक नई आशा आ जाती है की - कुछ अच्छा होगा। यह फ्लेग बुद्धिस्ट मोंक, स्तूप के जैसे ही यह प्रेयर फ्लेग भी हमें परम आनंद देती है।