Photo by Yoann Boyer on Unsplash

मैं तुमको मुहब्बत के निसाबो में मिलूंगी
पाकीज़ा मुहब्बत की किताबो में मिलूँगी

हर लफ्ज के हर हरफ में मौजूद रहूंगी
मैं तुमको मुहब्बत के बाबो में मिलूंगी

सवाल करेगा जब कभी कोई मुहब्बत का
मैं तुमको उन खामोश जवाबो में मिलूंगी

मैं धड़कन बन कर मौजूद रहूंगी दिल में
मैं तुम्हारे दिल की दस्त-ए-आबो में मिलूंगी

जब कभी देखोगे किताब-ए-उल्फत में रखे हुए फूल
मैं तुमको उन मुरझाए गुलाबो में मिलूंगी

तराशोगे जब कभी याद-ए-माज़ी भरा दिल अपना
मैं तुमको दिल-ए-खाना-खराबों में मिलूंगी

.    .    .

Discus