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हृदय में जागी फिर से आज एक तमन्ना है..
आ जाओ एक बार फिर से गले लगा लूँ तुमको
निहार लूँ जी भरकर, सांवर लूँ खुद को फिर से बिखरकर..
हो कहा तुम हे! मधुकर
तुम्हारा वो पीछे से चुपके- चुपके आ जाना
बाजुओं में समानेकी अधूरी ख्वाहिश लेकर चले जाना..
जानते हो कितना दर्दमयी है,
आँखों से आँखें मिलाकर फिर उन्हे चुरा जाना..
मेरे दुखद पलों में एक बार फिर से मुझे हँसा जाना
सपना सा है, पास होकर भी तुम्हारा दूर हो जाना...
हर पथ पर ,सँभाला था तुमने अब जो भटक गए तो कौन संभलेगा हमें...
तुम्हारे पास होने की कामना से ही सिहरन का आ जाना,
बिना स्पर्श के भी प्रेम का एहसास दिला जाना
मन बहुत बेचैन है आज, इसे लगी है फिर से तुम्हारे वापास आ जाने की आस...
आ रही है फिर से बीते क्षणों की याद
याद भी आई, फिर से रूलाई, है क्यूँ ये तन्हाई 
आँसुओं में डूबकर पुँछते है नयन आखिर क्यों.. घड़ी विरह की है आई?

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