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तब क्या किया जाए?
आँसू जब सुख जाएl

तब क्या किया जाए?
अरमाँ जब रूठ जाएं।

तब क्या किया जाए?
फ़ितरत जब छूट जाए।

तब क्या किया जाए?
लफ्ज़ जब खामोश हो जाएं।

तब क्या किया जाए?
तब उठ खड़े हो कर हवायों का रुख मोड़ दिया जाए।

बस ये किया जाए।
बस ये किया जाए।।

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