Photo by Yaroslav Shuraev: pexels

गम इतना बेग़ैरत साबित हुआ।
हम मेहफिल को हसाने के अफसाने बन गए।।

रुसवा किया ज़माने से खुद को।
अपनी रूह के फसाने बन गए।।

ढूँढ रही हैं आँखें जिस मंज़िल को।
उस मंज़िल से अंजाने बन गए।।

और, क्या खूब सुनी हैं सबकी बातें।
खुद ही खुद में दीवाने बन गए।।
दीवाने बन गए।
दीवाने बन गए।

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