तब मैंने चुप रहना सीख लिया
जब मेरे विचारों को सुनने और समझने वाले कोई रहे नहीं।
तब मैंने चुप रहना सीख लिया।।
जब मेरे जज़्बातों को महसूस करने वाले कोई रहे नहीं।
तब मैंने चुप रहना सीख लिया।।
जब मेरे एहसासों को तस्वीर देने वाले कोई रहे नहीं।
तब मैंने चुप रहना सीख लिया।।
जब मेरे अंतरमन की चेतना को जानने वाले रहे नहीं।
तब मैंने चुप रहना सीख लिया।।
जब मेरे ख्यालों को ज़िंदगी देने वाले रहे नहीं।
तब मैंने चुप रहना सीख लिया।।
जब मेरी उड़ान को गति देने वाले रहे नहीं।
तब मैंने चुप रहना सीख लिया।।
हाँ मैंने चुप रहना सीख लिया।।
हाँ मैंने चुप रहना सीख लिया।।