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माना ज़िन्दगी ने हर कदम पर
कई इम्तहान लिआ
कभी खुसी तो कभी गम को अपने मेहरूम पाया

कभी हस्ते हस्ते दर्द सेह लिआ
तो कभी रोते हुए अपनी मासूमियत को
बलि चढ़ते देख लिआ.

कभी बिखरने के बाद संभालना सीखा
तो कभी खुद को इस लम्बे सफर में
अकेले खड़ा पाया.

बहुत लोग आये तो सही ज़िन्दगी में
कुछ लोग सबक सीखा क गये
तो कुछ लोग ज़िन्दगी जीना सीखा गये.

उलझनों भरी रस्ते पे डट के खड़े रहना
और अपनी इंसानियत को बरकरार रखना
हर कदम पे खड़ी रही ज़िन्दगी मेरे साथ
सही गलत का सबक सीखा ने क लिए.

सफर कठिन है तो क्या हुआ
मुश्किलों में गिरे पड़े तो क्या हुआ
झुंझला देने वाली रात के बाद सवेरा तो आएगा
आज काले बादल हैं तो कल सूरज भी आएगा

रुकना नहीं है इस सफर में
ना अपने मनोबल को खोना क
रुकावट तो लाखों आएंगी
हमे अपनी मज़िल का रास्ता ढूंढ़ना है.

ए ज़िन्दगी कभी वक़्त मिले तो बता
तेरा साथ कुछ गुफ्त गु करनी है
तेरा सुक्रिया करना ह और
तुझे कस क गले लगाना है.

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