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जिंदगी के सफर मे,
ना जाने कितने जुड़ गये...
कितने छूठ गये...
पता ही नहीं चला,
वक्त का बितना,
कभी ख़ुशी तो कभी अफसोस करा गया|
ख़ुशी अपनों का साथ मिलने कीं,
अफसोस किसी राह मे उनसे बिछड जाने का,
दिल मे अजिबसा एहसास जगा गया|
अभी जिंदगी मानो थम सी गयी है,
सारी याँदे उभर जो आयी है,
अच्छे बुरे दिन सारे सिमट गये है,
जिंदगी मे सिखे तजुरबों का,
एहसास दिला रहे है|
गलतीयों से सिखकर,
ठेराव ला रहे है,
अच्छे कर्मों का फल,
दिल को तसल्ली दे रहे है|
आस है कीं ये वक्त कभी ना गुजरे,
पर तजुर्बा कुछ और ही केह रहा है,
वक्त का गुजरना तो तै है,
ये बात दिल को समझा रहा है|
सब कुछ मिलेगा,
सब कुछ छूठ भी जायेगा,
यही नियती का खेल है,
जिंदगी को ख़ुशी से बिताना ही तो,
यही इस सफर का मेल है|