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कोविड-19 महामारी दुनियाँ भर में मनुष्य जीवन के नुकसान का कारण और ज़न स्वास्थ्य, खाद्य व्यव्स्था के लिये अभूतपूर्व चुनौती बनकर सामने आया l करोड़ों लोगों का दर्दनाक ग़रीबी की आगोश में चले जाने का डर हैं l

कोविड-19 महामारी में पूर्ण या आंशिक बंदी की वज़ह से कितने लोगों ने अपनी नौकरियाँ गवां दी है l बिना किसी आय के न जाने कितने लोग अपनी तथा अपने परिवार का पोषण ठीक से नहीं कर पा रहे हैं l महिलाएं, पुरुष और खास तौर पर बच्चों को मानसिक दबाव का सामना करना पड़ रहा है l बंदी ने ऐसा प्रभाव डाला है कि उनमें से न जाने कितनों को मानसिक दबाव के कारण, मानसिक तथा अन्य बीमारियों का भी सामना करना पड़ रहा है या पड़ा है l बच्चों का भविष्य और मनस्थिति प्रभावित होने की ज़्यादा संभावना है l

इस महामारी ने पूरी खाद्य व्यवस्था को बड़ी बुरी तरह प्रभावित किया है l सीमाओं के बंद हो जाने से व्यापार प्रभावित होने के कारण बाज़ार या मंडी में चीजों की कीमत का अप्रत्याशित रूप से बढ़ जाना भी समाज, देश और राज्य को प्रभावित करने का कारण बना है l लाखों लाख किसान, मजदूर और स्व नियोजित, जो दुनिया का पोषण करते हैं, वे स्वयं गरीबी, कूपोषण और खराब स्वास्थ्य का शिकार हो रहे हैं l कूपोषण से जुझने वालो की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है l

यह समय वैश्विक एकजुटता और समर्थन का समय है, विशेष तौर पर उभरते और विकासशील दुनियाँ के समाजों में रह रहे सबसे कमजोर वर्ग के लोगों के लिये l खाद्य सहायता, वित्तीय सहायता या अन्य कार्यान्वित करते हुये सरकार को चाहिए कि नियोक्ताओं और श्रमिकों के साथ मिलकर काम करें और एक लंबे समय तक के लिये स्थाई रणनीति अपनाये ताकि स्वास्थ्य और कृषि-खाद्य क्षेत्र, जिस प्रकार की चुनौतिपूर्ण परिस्थितियों का सामना कर रहे हैं उनका समाधान हो l

किस प्रकार जनता का जीवन सामन्य हो यह विचारणीय है l पर्यावरण के भविष्य, आबोहवा में परिवर्तन, पर्यावरणीय दुर्दशा के बारे में महत्वाकांक्षा और तात्कालिकता के साथ हमें फ़िर से एक बार नये सिरे से विचार करना उचित है l तभी हम लोगों के खाद्य सुरक्षा, जीविका, स्वास्थ्य और पोषण को सुरक्षित कर सकते हैं l

इस प्रकार जनता का जीवन सामन्य और पुनः सुन्दर हो, यह सुनिश्चत हो जायेगा l

आलेख – कौशल कुमार सिंह , गहमर (उत्तर प्रदेश) 

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