Image by Piyapong Saydaung from Pixabay 

सोचता हु आज कल कि वापस इतना छोटा बन जाऊ कि,
फिर घर आके 'मां' तेरी गोद मै सो जाऊ
ये "शानो-शौकत " यु हि छोड़कर आ जाऊ, बस "मां" तेरी चुनर औढ गहरी नींद मै सो जाऊ
शहर कि बडी बडी ईमारत मैतेरी प्यारी सी डाँट को तरस जाऊ,
आस यही है की छोटी सी गलती कर तेरा थप्पड खा जाऊ
आज भी जब बचपन की यादो की अलमारी मै मुडकर देखु तो,
बेवजह तेरी वो मासूमियत वाली ममता मैयुही भिग जाऊ
भले कितनी ही बडी फाइव स्टार होटल मैखाना खा आउ,
पर आज भी तेरे हाथो सेबनी हुई स्वादिष्ट रसोई का भुखा हो जाऊ
जीवन मै कितनी ही ऊंची कामयाबी केशिखर पर पहुंच जाऊ,
पर आज भी जब तु गलेसे लगालेतो आसमान को भी पीछे छोड़ आऊ
भले उम्र और आदतो से कितना भी बड़ा हो जाऊ,
पर आज भी तेरी आखो केआयनेमै बचपन का शरारती लड़का बनना चाहु,
आज भी जब रात मे आखेबंद कर जाऊ, 
तब कोसो दुर सिर पर तुम्हारा प्यार भरा हाथ पाऊ
और आखिर मै,
अगर भगवान को कही जानेअंजाने मिल जाऊ,
मांग लु बस यही की जब तक यह दूनिया है तब तक तुम्हारा ही लाडला बेटा बनना चाहु

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