दौड़ भाग की जिंदगी में एक महीना त्योहारों का आया था 9 दिन नवरात्रों के थे और फिर 10वे दिन दशहरा आया था सुबह सारे काम खत्म करके रात को सारे घरवालों के साथ 7:30 बजते ही दशहरे मैदान की ओर निकल पड़े वहां पहुंचे तो देखा कि वहां बहुत भीड़ लगी हुई है बहां पूरी भीड़ में जाकर पहुंचे तो पता चला कि अभी तो रावण दहन होने में आधा घंटा बाकी है आधे घंटे में क्या करें तो मेरे घर वालों का साथ छोड़ अपने दोस्त को फोन किया और उसके साथ पूरे मेले का मजा लेने लगा जैसे ही रावण दहन का समय नजदीक आने लगा तो हम रावण के सामने जाकर खड़े हो गए वहां थोड़ी देर में नारे लगने शुरू हो गए नारो के बीच आतिशबाजी शुरू हुआ जय श्रीराम जय श्रीराम के नारों के बीच आतिशबाजी का रुझान कुछ अलग ही नजारा दे रहा था फिर इसी बीच में वानर सेना के संग राम भगवान की झांकी शुरू हो गई झांकी कुछ देर के बाद खत्म हुई और राम भगवान ने धनुष उठाया और तीर चलाकर रावण दहन कर दिया और सारी भीड़ पीछे की ओर भागने लगी सबके चेहरे पर मुस्कान दिखाई दे रही थी.
क्योंकि सबको पता था रावण का नहीं बुराइयों का अंतहुआ है और रावण के पुतले में से निकलती हुई आग चिल्ला चिल्ला के बोल रही थी हर बार कितनी ही मुश्किल क्यों ना हो पर अंत में जीत सच्चाई की होती है सब अपने मन में यही सब बातें सुनते हुए और सब अपने चहरों पर एक अलग ही चमक लिए वहां से घर जाने के लिए गेट की ओर निक रहे थे मैं भी उसी भीड़ का एक हिस्सा था और बहुत खुश भी था पता नहीं क्यूं पर मन बड़ा खुश सा था इतने में ही मेरी नज़र एक आदमी पर टिक गई क्योंकि उसके कपड़े थोड़े फटे पुराने से थे लेकिन फिर भी वह सबसे ज्यादा खुश दिखाई दे रहा था ऐसा लग रहा था कि वह काफी दिनों से बिल्कुल हंसा हो न लेकिन आज वो खुल के हंस रहा था मैं उसे देख के बड़ा खुश हुआ था की उसके उसके हंसते हुए लवों पर उदासी सी नजर आने लगी.
मुझे नहीं पता बात क्या थी पर ऐसा लग रहा था किसी पुरानी चिन्ता उन्हें अन्दर से खाएं जा रही है और उन्हें उस बात की याद आ गई लग रहा था की मानों उने यह महसूस हो गया कि यह दो पल की खुशियां उनके पूरे जिंदगी भर के दुख से बहुत कम है मुझसे उनको ऐसा देखा ना गया और मैं उनके पास गया और उसने बोला अंकल वो हमने रावण जला दिया है अब आप आराम से घर जा सकते हैं डरने की बात नहीं है मुझे नहीं पता मेंने यह क्यों बोला पर मुझे कहीं ना कहीं पता था मेरी यह बात सुन कर अंकल के चहरे की मुस्कान शायद वापस आ जाऐगी और एक डर भी था की वो गुस्सा नहीं हो जाएं लेकिन उनके चहरे पर पर वो ही पहले वाली हंसी वापस आ गई और यह देख के में भी बहुत खुश हुआ और उनसे बिना कुछ बातें किये वहां से निकल गया गेट की ओर आकर गाड़ी गाड़ी ढूंढी और फिर अपनी मम्मी को फोन करके गाड़ी के पास बुला लिया फिर मैंने घर आकर खाना खाया और सो गया फिर जब मैं सुबह उठा तो अखबार पढ़ने लगा तो पहले ही पेज़ पर मुझे एक चेहरा दिखाई दिया और मैं उसे तुरंत पहचान गया क्यों की वो वहीं इन्सान था जो मुझे कल मेले में मिला था मैं उसे अखबार में देख के चौक गया और उसकी हेडलाइन पड़ने लगा हेडलाइन पड़ते ही मेरी आंखों के सामने सब गायब होने लगा और चकर भी आ गए क्योंकि हेडलाइन में लिखा था की चंद रुपयों के लिए किया एक मासुम गरीब का खून.
मेने जब पूरी खबर पड़ी तो पता चला की उन्होंने पहले किसी से कुछ रुपए उधार ले रखे थे और वो कई सालों से उन रुपयों को चुका नहीं पा रहे थे और इस बार जब बसूली वाले आए तो उन्होंने उन्हें रुपए देने से इंकार कर दिया उनसे कहा कि मेरे पास रुपए है ही नहीं तो मैं क्या दूं तो बसूली वालों ने उन्हें बेहोश कर कर उनकी दोनों किडनी निकाल कर ले गए और उनको उसी हालत में मरने के लिए छोड़ दिया इस बात का मुझे जब मालूम हुआ तो समझ आया कि रावण दहन के बाद सबके चेहरे पर मुस्कान थी लेकिन वह मुस्कुराकर भी शांत हो गए थे क्योंकि उन्हें याद आया कि रावण तो मर गया लेकिन मेरा कर्ज नहीं.