मै ढूंढती हुँ
मेरा खेत
लहराती फसलें
मिट्टी की महकती खुशबू
खिलते फूल
मै ढूंढती हुँ
मां के हाथ की सुखी रोटी
खेत के करीब
बहते झरने का पानी
मैं ढूंढती हुँ
बिना मिलावट
ताजे फल
तारो से झिलमिलाता
आसमां
शुद्ध
स्वस्थ हवाएँ
मै ढूंढती हुँ
वो पत्थर की गिट्टी
पेडों की टहनी का झुला
पत्थर और लकडी
की गाड़ी
मिट्टी के खिलौने
कागज की पतंग
मै ढूंढती हुँ
ऊच नीच भरी राहें|
हरे भरे वन
हसती गाती
वादियाँ
मै ढूंढती हुँ
वो ढेर सारे दोस्त
आँख मिचौली का
वो खेल
मेरी जान से प्यारी गाय
वो दूध दही और लस्सी
से भरी रसोई
बरसात की बारिश
सर्दी की ठिठुरन
मै ढूंढती हुँ
भेड़ बकरियों से भरे खलिहान
वो ऊन की टोपी
बरफ की सफेद चादर ओढ़े मेरा गांव
मेरा गांव
जो बदल सा गया है
बस गया है कही शहरों की भीड़ मे
किसी कोने मे
शायद !!!!!!
कदम रखते ही
अजनबीपन का एहसास हुआ
सूना सा हर घर
मै ढुंढती हुँ
बच्चों की किलकारी
बुजुर्गों की खिटपिट
मै ढूंढती हुँ
मेरा गांव
जो ओझल है
कही ओस की बूंद सा
सुलग सी रही हो जो
आधुनिकता की धूप मे
खामोश है
किसी मृत शरीर की तरह
हकीकत मे मिले न मिले
फिर भी मै ढुंढती हुँ
मेरी कल्पनाओं मे
मेरी कविताओं मे
मै ढूंढती हूँ
प्यार से भरा
मेरा गांव