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आज एक पिता को तपती धूप मे झूलसते देखा
ढिला शरीर लिए परिवार चलाने का होसला देखा
माथे पर पसीना फिर भी मुस्काते देखा
आज फिर मैंने एक पिता को बोझा उठाते देखा
डांट लगाने पर मैने उन्हें र्शमिंदा होते देखा
कडवी बातोँ मे आजीवन खुशी का आर्शीवाद देते देखा
जताता तो हर शक्स है
पर उन्हें प्यार छुपाते देखा
आज फिर एक पिता को बोझा उठाते देखा
जो भागे थे बच्चों की ख्वाहिशे पुरी करने के लिए
आज उन्हें वृद्ध आश्रम के द्वार देखा
ए- जिदंगी
आज फिर एक पिता को बोझा उठाते देखा
बुढापे मे दूसरो के आगे सर झुकाते देखा
दो वक्त की रोटी के लिए गिडगिडाते देखा
लाचार हुए जो परिवार की तमन्ना पूरी न होने पर
उन्हें चुपी बांधे
कोने मे सहमे हुए देखा
आज फिर एक पिता को बोझा उठाते देखा
घर से निकाले जाने पर भी दुआ देते देखा
आज फिर बेटे के लिए र्कुबानी देते देखा
मुस्कुराहट के पीछें उन्हें दर्द छुपाते देखा
चीजों का भार तो कुछ नहीं
ए-जिदंगी
मैंने तो उन्हें जीवन का बोझ उठाते देखा
आज फिर एक पिता को बोझा उठाते देखा
आज फिर एक पिता को बोझा उठाते देखा

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