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भारत के हालिया इतिहास में नरेंद्र मोदी का नेतृत्व केवल राजनीतिक दृष्टि से नहीं बल्कि सामाजिक और आर्थिक परिवर्तन के दृष्टिकोण से भी अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। जब वर्ष 2014 में उन्होंने प्रधानमंत्री पद की शपथ ली, तब भारत की अर्थव्यवस्था कई चुनौतियों का सामना कर रही थी। विकास दर धीमी हो रही थी, वित्तीय समावेशन सीमित था और डिजिटल ढाँचा अभी शुरुआती अवस्था में था। आम नागरिक तक योजनाओं का लाभ पहुँचाने में पारदर्शिता का अभाव था। ऐसे समय में नरेंद्र मोदी ने अपने नेतृत्व और नीतियों के माध्यम से देश की आर्थिक और सामाजिक दिशा को बदलने की कोशिश की।

नरेंद्र मोदी का बचपन गुजरात के वडनगर नामक छोटे कस्बे में बीता। परिवार आर्थिक रूप से सामान्य था और बाल्यकाल में उन्हें अपने पिता के साथ चाय बेचनी पड़ी। यह कठिनाई से भरा बचपन ही था जिसने उन्हें संघर्ष, परिश्रम और अनुशासन का महत्व सिखाया। आगे चलकर वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े और वहाँ से संगठन, राष्ट्रभक्ति और अनुशासन की शिक्षा प्राप्त की। यही शिक्षा उनके राजनीतिक जीवन की नींव बनी और आगे चलकर उनके नेतृत्व में देश ने व्यापक बदलाव देखे।

गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में नरेंद्र मोदी का कार्यकाल उल्लेखनीय रहा। वर्ष 2001 से 2014 तक उन्होंने गुजरात को बिजली, सड़क, जल प्रबंधन और औद्योगिक विकास के क्षेत्र में नई दिशा दी। वाइब्रेंट गुजरात शिखर सम्मेलन ने राज्य को निवेश का बड़ा केंद्र बना दिया। यही अनुभव बाद में उनके राष्ट्रीय स्तर पर नेतृत्व की कार्यशैली की नींव साबित हुआ। जब वे प्रधानमंत्री बने तो पूरे देश में उम्मीदों की लहर दौड़ गई और जनता को लगा कि अब विकास का एक नया अध्याय शुरू होने वाला है।

प्रधानमंत्री बनने के बाद नरेंद्र मोदी की सबसे बड़ी पहलों में से एक थी प्रधानमंत्री जन धन योजना। इस योजना के अंतर्गत लाखों लोगों ने बैंक खाते खोले और वित्तीय समावेशन का नया अध्याय शुरू हुआ। विश्व बैंक की ग्लोबल फिनडेक्स रिपोर्ट 2021 के अनुसार 2014 से पहले लगभग पैंतीस प्रतिशत वयस्क आबादी बैंकिंग प्रणाली से बाहर थी, लेकिन आज अस्सी प्रतिशत से अधिक लोगों के पास बैंक खाते हैं। यह परिवर्तन केवल बैंक खाता खोलने तक सीमित नहीं रहा, बल्कि इससे प्रत्यक्ष लाभ अंतरण की व्यवस्था भी सुचारु हुई। अब पेंशन, छात्रवृत्ति और गैस सब्सिडी जैसी सुविधाएँ सीधे लाभार्थियों तक पहुँचती हैं।

इसके साथ ही डिजिटल इंडिया अभियान ने देश की तस्वीर बदल दी। मोबाइल फोन और इंटरनेट के माध्यम से आज गाँव-गाँव तक डिजिटल लेन-देन की सुविधा पहुँच चुकी है। राष्ट्रीय भुगतान निगम के आँकड़ों के अनुसार वर्ष 2024 में यूपीआई लेन-देन की संख्या सौ अरब से अधिक हो चुकी है। आज छोटे दुकानदार, किसान और ग्रामीण उपभोक्ता भी डिजिटल भुगतान कर रहे हैं। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने भारत की डिजिटल सार्वजनिक संरचना को दुनिया के अन्य विकासशील देशों के लिए आदर्श मॉडल बताया है।

स्वास्थ्य और सामाजिक सुरक्षा के क्षेत्र में भी मोदी सरकार की योजनाएँ उल्लेखनीय रही हैं। आयुष्मान भारत योजना दुनिया की सबसे बड़ी सरकारी स्वास्थ्य बीमा योजना है और अब तक तीस करोड़ से अधिक लोग इसके लाभार्थी बन चुके हैं। कोविड महामारी के दौरान भारत ने न केवल अपने नागरिकों को दो अरब से अधिक वैक्सीन उपलब्ध कराई बल्कि अन्य देशों को भी वैक्सीन देकर वैश्विक स्तर पर अपनी जिम्मेदारी निभाई। इस पहल ने भारत की अंतरराष्ट्रीय छवि को और अधिक मजबूत किया।

युवाओं को ध्यान में रखते हुए नरेंद्र मोदी ने स्टार्टअप इंडिया, स्किल इंडिया और मेक इन इंडिया जैसी योजनाएँ शुरू कीं। वर्ष 2016 में भारत में चार सौ से भी कम पंजीकृत स्टार्टअप थे, जबकि आज यह संख्या एक लाख बीस हजार से अधिक हो चुकी है। इससे यह स्पष्ट है कि भारत आज दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप इकोसिस्टम बन चुका है। हेनली प्राइवेट वेल्थ माइग्रेशन रिपोर्ट 2025 के अनुसार भारत तेजी से उभरते वैश्विक स्टार्टअप केंद्रों में शामिल हो चुका है। इससे युवाओं को रोजगार के अवसर मिले हैं और नवाचार को बढ़ावा मिला है।

विदेश नीति के क्षेत्र में भी मोदी का नेतृत्व प्रभावशाली रहा। उन्होंने अमेरिका, रूस, जापान और यूरोपीय देशों के साथ भारत के संबंधों को मजबूत किया। अंतरराष्ट्रीय योग दिवस की पहल ने भारत की प्राचीन परंपरा को विश्व स्तर पर पहचान दिलाई। आज 21 जून को पूरा विश्व योग दिवस मना रहा है और यह भारत की सॉफ्ट पावर का प्रतीक बन गया है।

हालाँकि उनकी यात्रा केवल उपलब्धियों तक सीमित नहीं रही। चुनौतियाँ भी कम नहीं थीं। बेरोज़गारी, कृषि क्षेत्र की समस्याएँ और ग्रामीण आय में असमानता जैसी गंभीर चुनौतियाँ आज भी मौजूद हैं। विपक्ष यह आरोप लगाता रहा कि विकास का लाभ समाज के हर वर्ग तक समान रूप से नहीं पहुँचा। महँगाई और रोजगार सृजन के मुद्दों पर सरकार को आलोचनाओं का सामना करना पड़ा है। फिर भी यह अस्वीकार नहीं किया जा सकता कि भारत ने डिजिटल और समावेशी विकास की दिशा में मजबूत नींव तैयार कर ली है।

नरेंद्र मोदी का जीवन और नेतृत्व इस बात का प्रमाण है कि कठिनाइयों और आलोचनाओं के बीच भी यदि स्पष्ट दृष्टि और दृढ़ इच्छाशक्ति हो तो असंभव को संभव बनाया जा सकता है। एक चाय बेचने वाले बालक से लेकर भारत के प्रधानमंत्री तक की उनकी यात्रा प्रेरणा देती है कि परिश्रम, ईमानदारी और संकल्प से किसी भी लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता है।

निष्कर्ष के रूप में कहा जा सकता है कि नरेंद्र मोदी का नेतृत्व भारत को केवल राजनीतिक बदलाव नहीं बल्कि सामाजिक और आर्थिक क्रांति की ओर ले गया है। जन धन योजना से लेकर डिजिटल भुगतान तक, आयुष्मान भारत से लेकर स्टार्टअप इंडिया तक हर क्षेत्र में एक नया परिदृश्य उभरा है। चुनौतियाँ अभी भी हैं, लेकिन यह स्पष्ट है कि भारत अब आत्मविश्वास के साथ एक नए युग की ओर बढ़ रहा है। आने वाले दशकों में यह परिवर्तन न केवल एशिया बल्कि पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था और राजनीति को प्रभावित करेगा।

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