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सुन जरा तु सुन जरा
धरती पे लाया तु
सुन जरा तु सुन जरा
सपने सजाया तु

धरती अम्वर अग्नि बायु जल को साक्षी रखते हुये जनम देति है एक सन्तान की | वह और कोई नहीं, वह भगवान का एक सून्दर स्वरूप होती है, वह है 'माँ' |

एक वच्चे का भरोसा होती हैं वह माँ | उसकी पालन पोषण करके उसको बरा करति है एक माँ | वच्चे की पेट भर जानें पर भी उन्हें सन्देह रह जाते है कहीं उसके पेट खाली तो नहीं रह गया| वह है माँ |

भगवान का सबसे सून्दर स्निग्ध रूप है माँ | जीवन का शीतल स्पर्श है माँ |

एक पेड़ के तरह शीतल छाओं में सूरक्षा की आचल फैलाकर सन्तान की सिन्चन करति है| वह है माँ | जीवन सुधा दिलाने वाली| वह है माँ |

भगवान कृष्ण ने भी माता यशोदा के सामने अपना भगवान रूप को छिपा के रखें थे माँ की ममता को पाने के लिए |

माँई मेरी तू स्वस्थ रहे
तुझसे जुड़े सारे खुशी
में ना भुल पाऊंगी तुझे
धन्य मेरे जीवन सारी

जीवन की दूसरे महत्वपूर्ण भगवान है पापा | जो भगवान का दूसरे रूप है|

उनके शक्त उंगलियाॅ कहते हैं उनके हाथ पकड़ के हम महफूज है, कोई डर नहीं जब की पापा मेरे साथ है | पापा की तरह सायद कोई भी इतना सम्भाल के रख नहीं पाते इस संसार में |

हाथ पकड़ के चलना शिखाते है | वह है पापा |
अच्छे बूरे का एहसास दिलाते हैं | वह है पापा |
जीवन में आगे चलने के लिए प्रेरित करते हैं | वह है पापा |

उनके कभी कोमल कभी शक्त कदम हमें जीवन की हर चुनौती का सामना करने शिखाता है | वह है पापा |

जीवन की तीसरी महत्वपूर्ण रूप है प्रकृति |
उनके रूप रस से तन मन शीतल होती हैं |

सुबह फूल का खिलना, पंछियों का कलतान, झरने का बहना; अच्छा लगता है | यह सब प्रकृति माता की स्निग्ध सुन्दर रूप होता है | साक्षात भगवान का शीतल रूप जो तन मन को शीतल कर देते हैं |

कभी वह शीतल तो कभी वह गरम | जब वह रूकते है तो तूफान खड़ा होता है जिस को सम्भालना नामुमकिन हो याते है | यही है प्रकृति माता |

जीवन की चहता अर सवसे महत्वपूर्ण रूप है मानवता, स्वच्छता |
जीवन में स्वच्छ रहना, मानवता का आदर करना महत्वपूर्ण होता है |

खुशियां बाँटो, अच्छा शुलुक करो, सच्चे रास्ते पर चलो तो जीवन सुन्दर निर्दोष होते हैं, अर इस खूबसूरत जीवन ही भगवान का दिया हुआ सवसे अनमोल तोफा होती है|

जीवन अगर सुन्दर हो, जीवन में कामयाबी अगर स्वच्छता से हो तो मनुष्य अमर हो जाता है, युग युग से उनकी नाम लिया जाता है, उनको भगवान के तरह पूजा जाता है | यही है भगवान का स्वरूप | जीवन ज्योत उजागर होती है | हार इन्सान में भगवान बसते है | जव एक मनुष्य इस भाति अमर हो जाता है तो उनकी भगवान स्वरूप तो सामने आहि जाता है |

इसलिए मन्दिर मस्जिद गिर्जा कहीं भी भ्रमण कर लो, लेकिन असली पहचान तो मिलता है माँ, पापा, प्रकृति, मानवता के स्वरूप में भगवान दर्शन |

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