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डम डम डम डमरू वाजे
सावन का महिना साजे
शिवरात्रि का दिया जला दे
आइ महाशिवरात्रि आइ
खुशियों का बरसात लाइ
शिवजी का व्रत रखें जो
तीनों प्रहर पूजे जो
तन मन उसकी शुद्ध हो जाए
मिलती है उसे वह आशीष
शिवमंगल का मधु अमृत
जो शिवजी का जप करे
पाप का पश्चाताप करे
दुख से सुख का मिलाप करे
भोले की कृपा बरसती है
जीवन सुखी होता है|

शिवजी का महिमा क्या कहना
सागर मन्थन से जब निकली
काल कूट कि ज्वाला
सब की रक्षा करने को यह बिष् पी डाला
नीलकंठ बन गये गले में लिए हलाहल
ना जाने कैया कैया किये ये भक्तवत्सल
आने लागि यब स्वर्ग से गंगा तीव्र गतिसे
बन्ध जटायु में बांध के गंगाधर कहलाए
शिवजी का महिमा कैया कहेना
जो बुलाए उसे स्वच्छ मन से
करे यो उसके मन कामना पुरण
तन मन डोले शिवभक्त का
यव यव शिवरात्रि आए रे
डम डम डमरू वाजे रे
खुशियों के त्यौहार लाया रे
तन मन डोले ॐ नमःशिवाय ॐ नमःशिवाय॥

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