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जहां से भागे थे जनाब जिंदगी तो वही खड़ी है,
जिस खुशी की तलाश में हो वो तो उलझनों में जकड़ी पड़ी है,
ढूंढ रहे हो सुकून तुम वैसे तो
मगर फिर भी ना जाने किस बात की हड़बड़ी है,
जनाब ये दुनिया गोल है, गुजरे सब हैं यहां
कोई टकरा कर आगे बढ़ा तो किसी को बस भागने की पड़ी है,
खोज में निकले सब थे मगर अब बस रोज़ की हड़बड़ी है,
जिंदगी के लिए भागते भागते वही ना जाने कहां चली है...

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