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काश में वो बात कहां जो उसके होने में होती है,

फिर भी हर कहानी बस उस काश में होती है,
वादें यादें भी उसी कश्ती में सवार होती हैं,
कितना भी मिल जाए 
ख्वाइश तो अक्सर काश में होती हैं,
काश में कुछ खास नहीं 
बस वो क्यों नहीं ये बात हमें बर्दाश्त नहीं,
अगर भर भी लूं कटोरी मैं तो भी काश रह जायेगा,
भले ही चांद भी पा लूं मैं
फिर भी कोई ना कोई तारा काश ही रह जायेगा,
अब देखो तो सही काश बिना आकाश कहां है,
उसी काश की बात करो तो 
बिना काश प्रकाश कहां है,
कह दूं तो काश का कहां कोई मोल है,
फिर भी जाने क्यों इसी में
 छुपा लगता सब अनमोल है,
गोल ये दुनिया भी काश में सवार है,
होने की तुलना भी काश का व्यापार है,
काश की कश्ती कहो या कहो काश उड़ान है, 
कितना भी पा लो तुम 
होना काश का ही आदान प्रदान है,
फिर भी सच है कि काश में वो बात कहां 
जो उसके होने में होती है,
तब भी हर कहानी बस काश में होती है,

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