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टूंटी जो यूं वो टहनी है, यूं अब जुड़ तो ना पाएगी, 
फिर भी उम्मीद रखे है, कि शायद 
वो फिर पहले जैसे हो जायेगी,
यूं बांधे है वो बस खुद को उससे , 
कि मानो वो खुद को उससे जोड़ कर दिखाएगी,
मगर भ्रम है उसे बस ये कि वो फिर पहले जैसे हो जाएगी,,
उस कैद से जो उड़ निकला वो परिंदा है 
सोचे है अब खुशी से जी पाएगा,
मालूम नहीं है उसको अभी कि 
मुश्किल से बहुत वो अभी उड़ना भी सीख पाएगा,
टूटा टूटा जोड़े है, वो तिनका तिनका घर को
पेट भरे है बच्चे का भले ही भूखे रखे वो खुद को,
सोचे है कि मेरी लाठी बनेगा ये कल को
मालूम कहां ये उसको कि उड़ना सीख 
ये छोड़ चलेगा अपने इस छोटे से घर को...

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