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जब बातों बातों में उस बात की बात हुई
तब पता लगा वो बात बिन बात ही खास हुई,
ना उस बात में वो बात थी, ना उस बात की कोई बात थी,
जिसपर उस पल ढेरो बात हुई,
हम तो इतना भी भूल चुके थे
की दिन से ना जाने कब ये रात हुई,
सोचा था अब तो कह ही देंगे
मगर इतनी सब बातों में फिर ना वो बात हुई,
कभी बाते उस और चली कभी इस और,
ढूंढे बिन मंजिल हर ओर की बात हुई,
झट से आंख खुली ,मालूम पड़ा की
बातें करने के लिए उनसे अभी कहां ही वो मुलाकात हुई,
बातों बातों में ये बताना ही भूल गए
कि हां अभी नहीं उनसे उस बात की बात हुई...

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