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जब जब बिखरा हूं संभालने को वो मिल जाता है,
कभी मेरे गिरने से पहले कभी गिरने बाद मुझे उठना सिखाता है
वो कभी तो ढेरो बात करता है,
कभी हफ्तों तक ना हाल बताता है,
वो दोस्त है मेरा मेरे रोने से पहले ना जाने कहां से मुझे हसाने आ जाता है,
वो अजनबी ही था, एक भीड़ में कहीं वो भी गुज़र रहा था,
मगर आचनक वो टकरा गया, और बातों बातों में मुझे अपना बना गया ,
हम अक्सर लड़ जाया करते हैं, बात बात पर घंटों मुंह भी फुलाया करते हैं,
ख्याल कुछ मिलते नहीं है हमारे, मगर एक दूसरे के हर जज़्बात समझ जाया करते हैं,
इसलिए लड़ाई उससे भी उसके खातिर किया करते हैं,
वो दोस्त है मेरा , उससे लड़ाई भी उससे प्यार के खातिर किया करते हैं,,
वो बात बात पर मेरी बात काटा करता है,
मेरे हर बात पर मज़ाक किया करता है,
मुझे कभी तो इतना तंग करता है,
और कभी मेरी हर परेशानी यूहीं समझ लेता है,
अपने हर मजाक में सही गलत समझा देता है,
मेरे मुश्किल यूंही हल कर देता है,
कहता नहीं कभी मगर दिन में एक बार मेरा ख्याल वो भी कर लेता है,
रोज़ कोई फोन नहीं करता मगर हर पल फिक्र किया करता है,
वो दोस्त है मेरा,,कभी तो महीनो भी बात नहीं होती ना सालों मिलना होता है मगर ऐसे थोड़ी दोस्तो को बिछड़ना होता है,
आज भी उससे बात करोगे ना तो वो वहीं खड़ा होगा,
जैसा दोस्त वो पुरानी यादों में है उसके आज में भी उसका वैसे ही होना होगा,
हां वो दोस्त था मेरा वो दोस्त है मेरा और कल भी मेरा उसका मेरा दोस्त होना ही होगा।।।।