मै कान्हा तो नहीं,
पर यशोमति मैय्या तुम हो ।
मेरा जीवन मधुर गीत तो नहीं,
पर रचनाकार तुम हो ।
मैं समय तो नहीं,
पर हर क्षण तुम हो ।
मेरा संपूर्ण जगत तुम हो ||1||

आसमान में जैसे तारे
वैसे तुझमें समाया हू ।
जीवन में दुख क्या चीज है,
अनोखा जीवन जो तुमसे पाया हू ||2||

तुम प्रेम की मूरत हो |
देवी शक्ति का रूप हो |
स्वार्थ की इस धूप में त्याग की निस्वार्थ छाव हो |
अनैतिकता की इस उलझन में संस्कारों का सुलझाव हो |
अंधकार सी मुश्किलों में रोशनी सा सुझाव हो ||3||

तुम्हें देखु तो मन प्रेरित हो उठे, हृदय प्रफुल्लित हो उठे।
तुम्हें देखु तो समझु क्यू जगद्गुरु,
यशोदा की ममता के लिए अवतरित हो उतरे ||4||

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