आंगन में सोन चिरैया के, दिव्य फूल खिला एक प्यारा।।
सहिष्णु व आंतरिक शक्तियों से परिपूर्ण,
मुख में "जय जवान जय किसान" का नारा।।
प्रगति मार्ग दिखाने हेतु, दृढ़ संकल्प लिए थे अनेक।।
श्रेष्ठ चिन्ह भारतीय संस्कृति का, पाक,विनम्र मनुष्य वह नेक।।
खिला पुष्प निर्धन बगिया में, अत्यंत विपत्तियों में माली गया सींच।।
विपत्तियों को लगाए ललकार वह बालक, सुलझाया अनेक परिस्थितियां विपरीत।। शास्त्री शब्द हो गया प्रसिद्ध, विद्यापीठ में प्रवेश जो किया।।
शिक्षाशास्त्र को भाग बनाकर, शास्त्री नाम संग जोड़ दिया।।
गुरु मान बापू को हमारे, अमल कर उनके आदर्शों पर।।
चयन कर देश भक्ति मार्ग का, खुशहाल बनाया राष्ट्रीय स्तर।।
मीठी बोली विनम्र स्वभाव, इरादे थे पर्वतों से दृढ़।।
परिवर्तन यात्राओं में बनकर सहयोगी, ढाल बनकर शास्त्री गए अड़।।।
बनकर सहायक महात्मा गांधी संग, यात्रा नमक आंदोलन की कराई।।
आया परिवर्तन मिली सफलता, क्रांति समस्त देश में छाई।।
दिव्य दृष्टि उन्हें पर्याप्त, आभास था आगमी परिस्थितियों का।।
राष्ट्रीय सेवक हिंदुस्तान बनाया, जज्बा देख वीर शास्त्री का ।।
अनेक प्रतिभाओं के वह धनी, विचार धारा शास्त्री की असाधारण।।
ओढ़े चादर संवैधानिक मर्यादा की, राजनेता रूप में दिया निवारण।
चमत्कारी विचारधाराओं से अपनी, समस्त जवानों को किया प्रबल।।
दिलाई किसान को अहम भूमिका, संपूर्ण भारतवर्ष किया अमल।।
सशक्त भारत निर्माण हेतु, युवाओं के शास्त्री बने सखा।।
थाम प्रेम पूर्वक भारतवासियों का हाथ, प्रधानमंत्री बन निभाई भूमिका।।
अजी लोकप्रियता का क्या कहना, मरणोपरांत अमरता पाई थी।।
दूरदर्शी मस्तिष्क में अनेकों, योजनाएं कल्याणकारी समाई थी।।
भारत व पाकिस्तान युद्ध किया विध्वंसक, पालियों में छिडे अनेकों विवाद।।
शास्त्री शीघ्र पाकिस्तान पहुंचे, अयूब खान संग हुई मुलाकात ।।
व्याख्या घटित हुआ एक भारी , मिला जिसका निचोड़ नहीं।।
शास्त्री वीरगति को प्राप्त हुए, घटनास्थल बना रहस्यमई।।
ऐतिहासिक दिव्य पृष्ठों में खोजो, समस्त वर्णन योजनाओं का।।
चुन-चुन कर हो जाएगा निवारण, निर्माण समक्ष खड़ी बाधाओं का।।