Image by DesignByDessie from Pixabay शाम के चार बज गए , आधा दिन ख़त्म हो गया।
देखो बाहर की ओर एक अलग ही नज़ारा है,
हल्की धूप भी है मगर शाम होने का इशारा है,
किसी के चाय का वक़्त है,
तो कोई काम में व्यस्त है,
किसी के दोपहर की नींद खुली है,
तो बच्चों को बाहर खेलने जाने की खुशी है,
कहीं पंछियों की चड़चड़ाहट है,
और सूरज डूबने की हल्की सी आहट है,
कुछ सूना-सूना सा मेरा शहर है,
थोड़ी शाम ओर थोड़ी दोपहर है,
किसी को इंतज़ार है घर जाने का,
दिनभर की मेहनत के बाद आराम फरमाने का,
देखो आसमान का रंग बदलने लगा है, दिन ढलने लगा है,
धूप अब फ़ीकी पड़ने लगी है, थोड़ी हवा चलने लगी है,
पेड़ पौधों को भी छाउँ मिलने लगी है,
कुछ अलग ही हो जाता मौसम का नज़ारा है,
चार बज गए अब शाम होने का इशारा है।
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