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कौन कहता है सावित्री !
कौन कहता है लक्ष्मी!
कौन कहता है देवी!
वह होती है प्यारी बेटियां!
लड़की का मन,
देख कर लड़की लड़का भेद भाव
सवाल उठा मन में
क्या कोई अपराध किया है क्या???
जन्म लेकर बेटी का !
समाज कहता है!
लड़की को बस करो
पढाने का पहले लड़के को पढ़ाओ!
जब बेटी दसवीं कक्षा में जाती है !
तब समाज बोलता है !
कब करोगे शादी कब तक पढ़ाओगे!
बेटी बोलती है!
मुझे पढाई के लिए बहार जाना है!
तो समाज बोलता है !
तुम्हारी बेटी कैसे रहेगी बाहर!
कर दो शादी बेटी बड़ी हो गई है!
कब तक सहेगी अन्य बेटियां! ! कब तक सहेगी अन्य बेटियां !
शादी के बाद,
छोड़कर मा पिता का प्यार
ससुराल चली आती है!
छोड़ के भाई बहनों का प्यार
करती है पति को स्वीकार!
सहके के दुख दर्द यतना
करती है सबका स्वीकार!
करती है वह सब काम
देके परिवार को खुशियां!
सुनती है सब गलियां सबकी,
सहके दुख दर्द यतना ,देती है
हर खुशी परिवारको!
देख कर माता पिता का स्वाभिमान
सह लेती है ससुराल का अन्य!
महिलाओं का समर्पण,
पहनती हैं गले में मंगलसूत्र
नाम लग जाता है पति का !
भरती है भंग खुद का
नाम लग जाता है पति का!
देती है जन्म बच्चों को
नाम लग जाता है पति का!
करती है सब कुछ समर्पण पति को
सहके सब दुख दर्द यतना!
करती हैं तन मन धन से सेवा पति
की सह के ससुराल का अन्य!
कब होगा खत्म ये अन्य !
कब होगा खत्म ये अन्य!
सावित्री की बेटियां,
रख होसला तू,
कर फैसला तू
करले हासिल तू मंजिल पहिले!
तू कर ले नफरत अन्य की,
तू झांसी वाली रानी है!
तू लडले अन्य के खिलाफ ,
तू सावित्री की बेटी हो!
तू कर ले हासिल ओ मंजिल ,
जहां मिलेगा तुझे बड़ा सनमान!
तू सावित्री की बेटी हो तू
रख होसला ,कर फैसला
कर वो उचाई हासिल!
जहां मिलेगा तुझे बड़ा सनमान
तू लड़के अन्य के खिलाफ़!
तू लड़ले अन्य के खिलाफ !!!