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आज जो में लिखने जा रहा हु, वह भले ही एक विषय है, परंतु ये मेरी असल जीवन की एक घटना पर आधारित है।

ये कहानी है फरवरी माह की जब मेरी प्रेमिका अपने गांव आ रही थी, अपनी दादी से मिलने। मैं यह उसके गांव के पास रहता हु,और वो अपने माता पिता के साथ गुजरात रहती है।

हम खुश थे क्योंकि दो साले रिश्ते में हम पहली बार एक दूसरे को देखने और मिलने वाले थे। दरअसल हमारी दोस्ती ऑनलाइन एक सोशल मीडिया एप से शुरू हुई थी, और धीरे धीरे प्यार में बदल गया। हमने मिलने के बहुत प्लान बना रखा था , कुछ बैकअप प्लान के साथ भी की अगर पहला फेल होता है तो दूसरा कामयाब हो जाएगा। सब कुछ लगभग सही चल रहा था वो यहां पर 20 दिन रुकने वाली थी।

प्लान ऐसा था की सबसे पहले वो अपने चाचा के घर रांची आने वाली थी फिर वह से 5 दिन बाद अपने गांव। हमने होटल में खाने का और मॉल में घूमने का और शॉपिंग का प्लान बनाया था जिसमे उसके बड़े पापा की लड़की यानी की उसकी दीदी उसका साथ देने वाली थी। लेकिन सारे प्लान फेल होते गए और हम एक दूसरे से गुस्सा और नाराज हो रहे थे।अंतिम दिन था जब मिलने का प्लान था वो आधे घंटे का था लेकिन वो भी 10 में ही मिल पाया अब समझ नही आ रहा था की पहली मुलाकात है क्या करू बोरिंग सा लग रहा था।

तभी उसने अपना गिफ्ट निकाल कर मुझे दिया जो मेरे लिए लेकर आया थी, मुझे अचानक से याद आया मैं अपना गिफ्ट घर में ही छोड़ आया, तभी अचानक से मेरे मन में एक प्लान आया और मेने उसे अपनी बाइक पर बिठाया अपने घर लाया अपनी दीदी से मिलवाया उसे गिफ्ट दिया और वापस उसे स्टेशन छोड़ दिया। सच कहूं तो ये सब बस 15 से 20 में का था लेकिन 20 दिन जो हम तड़पे थे और परेशान थे प्लान के फेल होने की वजह से सब खत्म हो गया। उस समय के बाद मुझे समझ में आया की आपको जो चाहिए सिर्फ उसकी इच्छा कर सकते है, लेकिन कैसे होगा ये सब पहले से तय है, इसे ही नियतिवाद कहा गया है, क्योंकि ये तो होना ही था और इसी तरह से होना था। 

धन्यवाद।

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