आत्मनिर्भर का अर्थ है "किसी भी कार्य को स्वयं करना, दूसरो पर निर्भर की बजाय स्वयं निर्भर हो कर कार्य करना। प्राय देखा जाता है जीवन की दिनचर्या में हम अधिकाश कार्य दूसरो पर निर्भर होकर करते है,

बच्चो को पढ़ाने के लिए अतिरिक्त कक्षाएं लगाई जाती है (ट्यूशन) घर संभालने के लिए नौकर रखे जाते है, बच्चो की निगरानी के लिए "मेड" रखी जाती है. ये ऐसे कार्य है जिनकी जिम्मेदारी हमारी होती है, परन्तु इन जिम्मेदारियों का बोझ हम दूसरों पर डालते रहते है।

आत्मनिर्भर बनना कोई कला या प्रतिस्पर्धा नहीं है जो अति आवश्यक हो, यह केवल हमारे क्रिया और पहचान का शब्द है हमें, अपने कार्य स्वयं करना चहिए दूसरों पर अवलंबित नहीं रहना चाहिए।

सवाल है के हमें आत्मनिर्भर क्यों बनना चाहिए?

इसका उत्तर दो प्रकार से है,

1. दिनचर्या प्रतिदिन किए जाने वाले कार्य हम दूसरो पर छोड़ देते है, हम किसी भी कार्य की नकल (कॉपी) कर लेते है, नतीजा हम अव्वल आते है, परन्तु उस कार्य को हम गहराइयों में जानने की कोशिश करते है तो हमें कुछ मालूम नहीं होता या हम आत्मसात नहीं कर पाते क्युकी अव्वल आने में हमारी नकल थी।

2. अगर हम किसी वस्तु को बनाकर किसी अन्य इंसान को देते है ताकि वह इस वस्तु को बेच सके, हम तक पहुंचते हुए उस वस्तु की किस्मत तीसरे भाग में आती है, अर्थात् वस्तु हमने बनाई, मेहनत हमारी, परंतु उसकी लागत हमें तीसरे भाग में मिली।

अगर हम वस्तु को स्वयं बेचे तो हमे उस वस्तु का पहला हिस्सा प्राप्त होगा। और हमारी पहचान बनेगी।

आत्मनिर्भर भारत बने

आत्मनिर्भर बनना प्रतेक इंसान से शुरू होता है और धीरे धीरे इससे देश का विकास होने लगता है।

कोरोना काल के दौरान लॉक डाउन में भारत में आर्थिक व्यवस्था बहुत कमजोर हुई है, भारत में मजदूरों को अधिक क्षति पहुंची है। वह अब एक नए सिरे से कार्य करके आत्मनिर्भर बनना चाहते है। कोरोनाकाल में आत्मनिर्भर बनने के अत्यधिक अवसर है, क्योंकि वर्तमान समय कोरोनाकाल से देश की अर्थव्यवस्था डगमगा रही है।

लॉक डाउन के बाद जनता आर्थिक मंदी की कमी से गुजर रही है उनको पर्याप्त रोजगार नहीं मिल रहा, देश-विदेश में रोजगार कर रही जनता हाथ पर हाथ रख कर बैठी है। देश विदेश में काम कर रहे मजदूरों का पलायन यहां हो गया, चीन की करतूत के बाद भारत आत्मनिर्भर बनने जा रहा है, और कोशिश कर रहा है उनके सामान और वस्तुएं भारत में बने ताकि मजदूर को रोजगार प्राप्त हो, और दूसरे देशों से खरीदने की जरूरत ना पड़े, केवल उनके बने सामान को तव्वजो दे.

हर सामान made in India और make in India हो तभी भारत आत्मनिर्भर बनेगा।

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