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मानसून आने के बाद हर साल बाढ़ के हालात बनते है, भारत के अनेक राज्य मानसून में बाढ़ के शिकार बनते है। इसके हालात का दोष किसे दे! भगवान को या सरकार को, प्रतिवर्ष मानसून आता है सबको ज्ञात है, बरसात से बाढ़ के हालात क्यों बनते है, ऐसे इलाके जहां ज्यादा बरसात होती है और पानी का स्तर ऊंचा होता है, वहां के पुल,बांध,कुंड,तालाब आदि जगह पर मरम्मत नहीं करवाई जाती जिससे उनका पानी निकलकर आम जनता के सामने आता है और बाढ़ का रूप ले लेता है.

बाढ़ आने के बाद पूल जल्दी टूट जाते है क्युकी ये सरकार की खामियां है कम पैसे के लालच में और सस्ती और कम टिकाऊ चीजो के इस्तेमाल के कारण आम जनता की जान हथेली पर रखते है।

जहां बरसात कम होती है और स्तर कम होता है वहां लोग पानी बचाव हेतु निर्माण नहीं करते इस वजह बरसात का पानी बह जाता है।

प्रकृति पर किसी का दवाब नहीं होता ना रोका जाता है और ना भगवान को कसूरवार ठहरा सकते है, पर सरकार तो हम खुद बनते है प्रकृति को रोक नहीं सकते पर इसके प्रकोप से बचाने के लिए सरकार नए कदम उठा सकती है जिससे बाढ़ के हालात ना बने।

ज्यादा पैसे की टिकाऊ वस्तुएं पुल में इस्तेमाल करे और मानसून आने से पहले हर क्षेत्र की मरम्मत करवाए जहां पानी का बहाव तेज होता है अगर सरकार ये कार्यवाही अच्छे से करेगी तो ना बाढ़ के हालात बनेंगे ना सरकार को दोष दिया जाएगा।


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